बजट 2025- मालामाल होगा मध्यम वर्ग.. किसान, जवान और महिलाओं को क्या मिला? जाने 

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मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट शनिवार को लोकसभा में पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में धीमे पड़े विकास को रफ्तार देने के लिए मध्यम वर्ग की जेब में ज्यादा पैसा पहुंचाने का एलान किया।

इस बार का आम बजट मध्य आय वाले करदाताओं के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है। बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाए जाने के बाद मध्य वर्ग में खुशी की लहर है। इसका सीधा असर यह होगा कि मध्य वर्ग के वेतनभोगियों को पहले के मुकाबले कम टैक्स देना होगा और उनकी जेब में ज्यादा पैसे बचेंगे।

बजट में नए आयकर बिल की घोषणा की गई है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार इस बिल को अगले सप्ताह लाएगी, जो वर्तमान में आय पर टैक्स लगाने के तरीके को बदल सकता है। 12 लाख तक की आय वाले वेतनभोगी करदाताओं को अब कोई टैक्स नहीं देना होगा, जो 75,000 रुपये की मानक कटौती के कारण 12.75 लाख रुपये हो जाएगी। आयकर स्लैब की दरों में भी इसी के अनुसार बदलाव किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों को भी राहत दी गई है, खास तौर पर ब्याज से होने वाली आय पर टीडीएस सीमा को मौजूदा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है।

मकान मालिकों को बड़ी राहत
इस बार बजट में मकान मालिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। खुद के इस्तेमाल वाले घरों पर टैक्स छूट के नियमों में बदलाव किया गया है। खासतौर से जिनके पास दो मकान हैं। अब करदाता दो घरों को सेल्फ-ऑक्यूपाइड दिखाकर टैक्स छूट का लाभ ले सकेंगे, जबकि पहले यह सुविधा सिर्फ एक घर के लिए थी। अब ऐसे मकान मालिक संपत्तियों के वार्षिक मूल्य को शून्य के रूप में दावा कर सकते हैं। सरकार के इस कदम से होम ओनरशिप को बढ़ावा मिलेगा और रियल एस्टेट निवेश को भी मजबूती मिलेगी। किराये की आय पर भी टीडीएस दरों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव मौजूदा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे मकान मालिक और किरायेदारों दोनों को लाभ होगा।

टीसीएस की सीमा बढ़ने से होगा लाभ
बजट में टीसीएस की सीमा बढ़ाए जाने का लाभ उन परिवारों को मिलेगा, जिनके बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं। अपने बच्चों की शिक्षा के लिए विदेश पैसा भेजने वाले लोगों को टीसीएस सीमा का लाभ तभी मिलेगा, जब यह धन किसी वित्तीय संस्थान के माध्यम से भेजा जाए। विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए टीसीएस की सीमा बढ़ाई गई है। पहले यह 7 लाख रुपये थी, जो अब 10 लाख रुपये कर दी गई है।

टैक्सेशन में सुधार का प्रयास
कुल मिलाकर यह बजट आम लोगों के लिए राहत देने वाला है। यह बजट जटिल व्यक्तिगत टैक्सेशन में सुधार करने का एक प्रयास है, जिससे छोटे करदाताओं और कर्मचारियों को लाभ होगा। करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा आने से उनके लिए खर्च करना और बचत करना संभव होगा, जिससे जीएसटी के तहत अधिक खर्च और कर संग्रह को बढ़ावा मिलेगा।

एफडी कराने वालों को फायदा, अब 50,000 रुपये पर लगेगा टीडीएस
सामान्य नागरिकों के लिए बैंक एफडी पर टीडीएस की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत, अब 50,000 रुपये या उससे अधिक की ब्याज आय पर बैंकों की ओर से टीडीएस काटा जाएगा। वर्तमान में 40,000 रुपये या उससे अधिक की ब्याज पर टीडीएस काटा जाता है। वर्तमान में खाताधारक का पैन नंबर उपलब्ध होने पर बैंकों को एफडी से प्राप्त ब्याज पर 10 फीसदी टीडीएस काटना होता है।

स्वामी फंड-2:15 हजार करोड़ रुपये से पूरा होगा अटके हुए एक लाख घरों का निर्माण
सरकार ने अटकी हुई आवासीय परियोजनाओं में एक लाख घरों का निर्माण पूरा करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के ‘स्वामीह’ कोष-2 की घोषणा की है। इसका उद्देश्य उन घर खरीदारों को राहत प्रदान करना है जिनका निवेश अटका हुआ है। सरकार की किफायती और मध्यम आय आवास के लिए विशेष विंडो (स्वामीह) के तहत, संकटग्रस्त आवास परियोजनाओं में 50,000 घर बनकर तैयार हो चुके हैं।

घर खरीदारों को इनकी चाबियां भी सौंप दी गई हैं। 2025 में 40,000 और घर पूरे होंगे। इससे उन मध्य वर्ग परिवारों को मदद मिलेगी जो अपार्टमेंट के लिए ऋण पर ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं और साथ ही मौजूदा घरों का किराया भी दे रहे हैं। इस सफलता के आधार पर, सरकार, बैंकों और निजी निवेशकों के योगदान से एक मिश्रित वित्त सुविधा के रूप में स्वामीह फंड 2 शुरू किया जाएगा।

 

किसान होंगे धन-धान्य से धनवान, कर्ज संवारेगा खेती
सरकार ने इस बजट में भी कमजोर किसानों का हाथ पकड़े रखा। किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन का दायरा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है। जाहिर है कि जिन किसानों को धन की कमी की वजह से मनचाही फसल उगाने में दिक्कत हो रही थी, अब उनका रास्ता खुलेगा। सस्ता कर्ज न सिर्फ खेती को मजबूत बनाएगा बल्कि उत्पादन बढ़ने से आर्थिक स्थिति में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है। कर्ज का दायरा बढ़ने से किसानों, मछुआरों, डेयरी से जुड़े 7.7 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। दूसरा सबसे बड़ा एलान  पीएम धन-धान्य कृषि योजना के रूप में हुआ। इस योजना के तहत कम उपज वाले 100 जिलों पर सरकार की नजर रहेगी। वित्तीय मदद के साथ ही बीज से लेकर भंडारण और सिंचाई तक की व्यवस्था सरकार करेगी। इस योजना का मकसद किसानों की आय बढ़ाकर उनका जीवनस्तर उठाना है। 1.7 करोड़ किसान इस योजना से सीधे लाभान्वित होंगे। राज्यों की भागीदारी के साथ शुरू होने वाली धन-धान्य योजना कम उत्पादक, मध्यम फसल घनत्व और औसत से कम ऋण मानक वाले जिलों को सहारा देने के साथ ही वहां आधुनिक खेती को बढ़ावा देने का भी काम करेगी।

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किसान क्रेडिट कार्ड से बढ़ेगा खेती में निवेश
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत मिलने वाले कर्ज पर सरकार इसके ब्याज पर 2 फीसदी की सब्सिडी देती है। वहीं, किसान द्वारा समय पर लोन चुकाने पर 3 फीसदी की छूट अलग से मिलती है। ऐसे में किसानों को केवल 4 फीसदी ब्याज चुकाना पड़ता है। अब किसानों को पांच लाख तक कर्ज 4 प्रतिशत ब्याज पर मिल सकेगा।

उन्नत किस्म के बीजों के लिए मिशन का संचालन
उन्नत किस्म के बीज उपलब्घ कराने के लिए सरकार ने बड़ी पहल की है। इसके लिए राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन का संचालन किया जाएगा। मिशन का मकसद बीजों की उन्नत किस्मों के अनुसंधान को बढ़ावा देना और पैदावार को बढ़ाना है। इसके अलावा कीट प्रतिरोधी और जलवायु के अनुकूल गुणों से संपन्न बीजों को विकसित करने पर भी मिशन ध्यान केंद्रित करेगा।

सौगात
कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए पांच साल तय, बढ़ेगी गुणवत्ता
कपास की खेती में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए पांच वर्षीय मिशन की घोषणा की गई है। इसके तहत कपास की अधिक लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा दिया जाएगा। देश में कपास उत्पादन को बढ़ाने के लिए कपास प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश में कपास की गुणवत्ता को सुधारने के साथ ही उत्पादन को बढ़ाना है। ये मिशन उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ाने पर जोर देगा।

छोटे किसानों को होगा फायदा
पीएम धन-धान्य कृषि योजना के तहत किसानों को कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होंगे। किसानों को पैदावार बढ़ाने के लिए मुफ्त उर्वरक दिए जाएंगे। छोटे और सीमांत किसानों को कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर पंप और अन्य चीजों को लेकर सब्सिडी भी मिलेगी।

मत्स्य उद्योग को ऊंचाई पर ले जाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र का गठन
मत्स्य उद्योग को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) का गठन किया जाएगा। इस क्षेत्र का अधिकत दोहन करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। फिलहाल समुद्री खाद्य उत्पादन का मूल्य करीब साठ हजार करोड़ है। भारत मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि के क्षेत्र में विश्वभर में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
अंडमान और निकोबार व लक्षद्वीप जैसे क्षेत्रों में मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एसईजेड का गठन करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष फ्रेमवर्क यानी कार्ययोजना तैयार की गई है।

 

पांच नए आईआईटी में बीटेक की बढ़ेंगी 6,500 सीटें
देश में इंजीनियरिंग शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से पांच नए आईआईटी के यूजी प्रोग्राम (बीटेक) में 6500 सीट बढ़ेंगी। वहीं  भारत नेट परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी माध्यमिक स्कूलों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा। स्कूलों में इंटरनेट होने से प्रयोगशालाएं देश के विभिन्न आईआईटी समेत रिसर्च संस्थानों से जुड़ेंगी। यह पहला मौका है जब एक साथ आईआईटी या किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान में इतनी बड़ी संख्या में सीटें बढ़ाई जा रही हैं। वर्ष 2014 के बाद स्थापित आईआईटी पलक्कड़, भिलाई, तिरुपति, जम्मू और  धारवाड़ में ये सीटें बढ़ेंगी। वहीं, आईआईटी पटना में छात्रावास और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। यूजी पाठ्यक्रम में करीब 19 हजार सीटें हैं। पिछले 10 वर्षों में 23 आईआईटी में छात्रों की कुल संख्या 65,000 से 100 प्रतिशत बढ़कर 1.35 लाख तक हो गई है।

पांच स्किल एक्सीलेंस सेंटर बनेंगे
देश में पांच नए स्किल एक्सीलेंस सेंटर बनाए जाएंगे। इसमें मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड थीम पर विनिर्माण के लिए युवाओं को कौशलयुक्त बनाने के लिए वैश्विक विशेषज्ञता और भागीदारी के साथ काम किया जाएगा। इस साझेदारी में पाठ्यक्रम डिजाइन, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, कौशल प्रमाणन ढांचा और समयबद्ध समीक्षा भी शामिल होगी।
आईआईटी को 11349.00 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह पिछली बार से 9.92 फीसदी अधिक है। एनआईटी के बजट में 12.85%, डीम्ड यूनिवर्सिटी के 1.34% और आईआईएम के बजट में 18.70% की बढ़ोतरी हुई है।

स्कूलों में 50 हजार अटल टिंकरिंग लैब
बच्चों में जिज्ञासा और इनोवेशन की भावना उत्पन्न करने तथा वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए अगले 5 वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब बनाई जाएंगी। देशभर के स्कूलों में लगभग 8,706 टिंकरिंग लैब संचालित हैं।

भारतीय भाषाओं की पुस्तकें डिजिटल रूप में मिलेंगी
विद्यार्थियों को अपने विषयों को बेहतर ढंग से समझने में सहायता करने के उद्देश्य से भारतीय भाषाओं की पुस्तकें डिजिटल रूप में उपलब्ध करवाई जाएंगी। स्कूल और उच्चतर शिक्षा के लिए 22 भारतीय भाषाओं में डिजिटल रूप में पुस्तकें प्रदान करने के लिए भारतीय भाषा पुस्तक योजना की घोषणा की गई है। इसमें स्कूली शिक्षा के सौ से अधिक प्राइमर भी जुड़ेंगे। भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए अनुदान में 11.91 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

स्कूली शिक्षा में 7 फीसदी की वृद्धि
उच्च शिक्षा में 5.16 फीसदी और स्कूली शिक्षा में करीब सात फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उच्च शिक्षा के लिए 50077.95 करोड़ रुपये का आवटंन हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 2458.18 करोड़ अधिक मिले हैं।यूजीसी के बजट में 33.44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस साल 3335.97 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के बजट में 4.79 फीसदी बढा़ेतरी हुई है। इस साल 16691.31 करोड़ रुपये मिले हैं। पिछली बार 763.31 करोड़ रुपये मिले थे।

शोध के लिए 20 हजार करोड़, 10,000 छात्रों को फेलोशिप
सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में अनुसंधान, विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगी। केंद्र देश में अनुसंधान, विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग को बढ़ावा दे रही है। बढ़ी हुई वित्तीय सहायता के साथ आईआईटी और आईआईएससी में प्रौद्योगिकी अनुसंधान के लिए 10 हजार छात्रों को पीएम रिसर्च फेलोशिप मिलेगी। अभी 3,600 फेलोशिप दी जाती हैं।

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75 हजार नई एमबीबीएस व स्नातकोत्तर सीट जोड़ने का लक्ष्य
देश में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए अगले पांच साल में 75 हजार नई एमबीबीएस व स्नातकोत्तर सीट जोड़ने का लक्ष्य है। इसमें से 10 हजार सीट इसी साल मेडिकल कॉलेजों में बढ़ाई जाएंगी। बीते 10 साल में सरकार ने एमबीबीएस और स्नातकोत्तर की सीटों में 1.10 लाख यानी 130% की वृद्धि की है।

ज्ञान भारत मिशन की शुरुआत
शैक्षिक संस्थानों, सार्वजनिक और निजी संग्रहालयों के साथ पांडुलिपि विरासत के सर्वेक्षण, प्रलेखन और संरक्षण के लिए ज्ञान भारत मिशन की शुरुआत होगी। इसके तहत एक करोड़ से अधिक पांडुलिपि का डिजिटलीकरण होगा।

  • 7,089 करोड़ का बजट एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल के लिए तय
  • 41,250  करोड़ रुपये समग्र शिक्षा के लिए आवंटित
  • 7,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे  पीएम श्री योजना में
  • 1,250  करोड़ से होगा अध्यापन, शिक्षण एवं परिणामों का सुदृढ़ीकरण
  • 1,28,650 करोड़ रुपये शिक्षा बजट पिछली बार से 6.2 फीसदी की बढ़ोतरी
  • 1,815 करोड़ व्यय होंगे प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान में
100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी : प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत किए जाने से लोगों के लिए बीमा योजनाएं सस्ती होने की उम्मीद की जा रही है। यह निर्णय न केवल निवेशकों के लिए नए अवसर लेकर आएगा, बल्कि भारत के बीमा उद्योग को वैश्विक स्तर पर और मजबूती प्रदान करेगा। नई नीति के तहत मौजूदा नियमों और शर्तों की समीक्षा करने के बाद इसे और सरल बनाया जाएगा। ताकि विदेशी निवेशक भारत के बीमा बाजार में आसानी से प्रवेश कर सकें। विदेशी निवेश बढ़ने के साथ इंश्योरेंस सेक्टर में रोजगार के लिए भी बड़े अवसर पैदा होंगे।

नई कंपनियां कर पाएंगी निवेश
यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बीमा में 100% एफडीआई की अनुमति से अगले 10 साल में भारत में बीमा क्षेत्र से जुड़ी 1,000 नई कंपनियों के निवेश की संभावना है। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढे़गी। इसका फायदा आम लोगों को मिलेगा। इससे नए व ग्राहक-केंद्रित उत्पाद और बेहतर सेवा वितरण होगा। अधिक बीमाकर्ताओं का मतलब है बेहतर जागरूकता, उपभोक्ताओं के लिए व्यापक विकल्प और समाज के सभी वर्गों में वित्तीय सुरक्षा।

गिग श्रमिकों को भी मिलेगा पांच लाख तक स्वास्थ्य बीमा का लाभ
गिग और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराने की सुविधा मिलेगी। यह पंजीकरण कराने वाले श्रमिक आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी होंगे। इससे करीब एक करोड़ गिग श्रमिकों को पांच लाख रुपये सालाना का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस योजना में 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को अलग से लाभार्थी बनाया है। इसके अलावा, शहरी आजीविका को मजबूत करने के लिए सरकार शहरी गरीबों और कमजोर समूहों की सहायता करने को प्राथमिकता दे रही है।

शहरी श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए एक योजना लागू की जाएगी ताकि उन्हें अपनी आय में सुधार करने, स्थायी आजीविका और जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने में मदद मिल सके। सीमित कमाई को देखते हुए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पाना गिग श्रमिकों के लिए काफी चुनौती भरा रहा है। गिग श्रमिकों में कैब चलाने वाले, ऑनलाइन फूड या अन्य सामान डिलीवर करने वाले और फ्रीलांस काम करने वाले शामिल होते हैं।

सामाजिक सुरक्षा का लाभ देने के लिए सरकार गिग वर्कर्स को आईडी कार्ड प्रदान करेगी। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2030 तक कुल काम करने वालों का करीब 4.1% हिस्सा यानी करीब 23.5 करोड़ लोग गिग वर्कर्स होंगे। संसद की तरफ से सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में पहली बार गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को परिभाषित किया गया था। उसके बाद से ही सरकार इन्हें बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रयास करती रही है।

उच्च कर संग्रह से कल्याणकारी योजनाओं में आएगी तेजी

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सरकार ने अगले वित्त वर्ष यानी 2025-26 में 42.70 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2024-25 में लक्षित संशोधित 38.53 लाख करोड़ रुपये से यह रकम करीब 11 फीसदी अधिक है। इस रकम को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के जरिये जुटाने की योजना है। सरकार का कर संग्रह लक्ष्य बढ़ाने का कदम अर्थव्यवस्था में आय और खपत में वृद्धि की उम्मीद को दर्शाता है और इससे यह संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में चार साल की सबसे कम वृद्धि का अनुमान है।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में पहले 38.40 लाख करोड़ रुपये के सकल कर राजस्व का अनुमान लगाया था। 2025-26 में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के जरिये क्रमशः 25.20 लाख करोड़ रुपये और 17.50 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित प्रत्यक्ष करों से संशोधित अनुमान के तहत 22.37 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों से 16.16 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।

2024-25 में आयकर संग्रह 14.4 प्रतिशत बढ़कर 14.38 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि सरकार को उम्मीद है कि कॉरपोरेट टैक्स 10.4 प्रतिशत बढ़कर 10.82 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। बजट में मध्य वर्ग के लिए बड़े कर लाभों की घोषणा के बावजूद उच्च कर संग्रह की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव के बाद पिछले साल जुलाई में घोषित वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में सकल कर राजस्व 2023-24 के 34.37 लाख करोड़ की तुलना में 11.7 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया था।

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वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उच्च कर सरकार को राजकोषीय प्रगति पथ पर बने रहने के लिए एक बहुत जरूरी मौका प्रदान करेगी, जो सॉवरेन रेटिंग में अपग्रेड के लिए रेटिंग एजेंसियों के लिए अपनी पिच के लिए महत्वपूर्ण है। उच्च कर संग्रह से सरकार को पूंजीगत व्यय, सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन जुटाने में भी मदद मिलेगी।

शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह, जिसमें कॉरपोरेट कर और व्यक्तिगत आयकर शामिल है, चालू वित्त वर्ष में 12 जनवरी तक लगभग 16 प्रतिशत बढ़कर 16.90 लाख करोड़ रुपये हो गया।
शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह 7.10 लाख करोड़ से बढ़कर 7.68 लाख करोड़ तक पहुंच गया। शुद्ध गैर-कॉरपोरेट कर प्राप्तियां, मुख्य रूप से व्यक्तिगत आयकर 8.74 लाख करोड़ के पार रहा।

 

 


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