मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट शनिवार को लोकसभा में पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में धीमे पड़े विकास को रफ्तार देने के लिए मध्यम वर्ग की जेब में ज्यादा पैसा पहुंचाने का एलान किया।
इस बार का आम बजट मध्य आय वाले करदाताओं के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है। बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाए जाने के बाद मध्य वर्ग में खुशी की लहर है। इसका सीधा असर यह होगा कि मध्य वर्ग के वेतनभोगियों को पहले के मुकाबले कम टैक्स देना होगा और उनकी जेब में ज्यादा पैसे बचेंगे।
बजट में नए आयकर बिल की घोषणा की गई है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार इस बिल को अगले सप्ताह लाएगी, जो वर्तमान में आय पर टैक्स लगाने के तरीके को बदल सकता है। 12 लाख तक की आय वाले वेतनभोगी करदाताओं को अब कोई टैक्स नहीं देना होगा, जो 75,000 रुपये की मानक कटौती के कारण 12.75 लाख रुपये हो जाएगी। आयकर स्लैब की दरों में भी इसी के अनुसार बदलाव किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों को भी राहत दी गई है, खास तौर पर ब्याज से होने वाली आय पर टीडीएस सीमा को मौजूदा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है।
मकान मालिकों को बड़ी राहत
इस बार बजट में मकान मालिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। खुद के इस्तेमाल वाले घरों पर टैक्स छूट के नियमों में बदलाव किया गया है। खासतौर से जिनके पास दो मकान हैं। अब करदाता दो घरों को सेल्फ-ऑक्यूपाइड दिखाकर टैक्स छूट का लाभ ले सकेंगे, जबकि पहले यह सुविधा सिर्फ एक घर के लिए थी। अब ऐसे मकान मालिक संपत्तियों के वार्षिक मूल्य को शून्य के रूप में दावा कर सकते हैं। सरकार के इस कदम से होम ओनरशिप को बढ़ावा मिलेगा और रियल एस्टेट निवेश को भी मजबूती मिलेगी। किराये की आय पर भी टीडीएस दरों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव मौजूदा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे मकान मालिक और किरायेदारों दोनों को लाभ होगा।
टीसीएस की सीमा बढ़ने से होगा लाभ
बजट में टीसीएस की सीमा बढ़ाए जाने का लाभ उन परिवारों को मिलेगा, जिनके बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं। अपने बच्चों की शिक्षा के लिए विदेश पैसा भेजने वाले लोगों को टीसीएस सीमा का लाभ तभी मिलेगा, जब यह धन किसी वित्तीय संस्थान के माध्यम से भेजा जाए। विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए टीसीएस की सीमा बढ़ाई गई है। पहले यह 7 लाख रुपये थी, जो अब 10 लाख रुपये कर दी गई है।
टैक्सेशन में सुधार का प्रयास
कुल मिलाकर यह बजट आम लोगों के लिए राहत देने वाला है। यह बजट जटिल व्यक्तिगत टैक्सेशन में सुधार करने का एक प्रयास है, जिससे छोटे करदाताओं और कर्मचारियों को लाभ होगा। करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा आने से उनके लिए खर्च करना और बचत करना संभव होगा, जिससे जीएसटी के तहत अधिक खर्च और कर संग्रह को बढ़ावा मिलेगा।
एफडी कराने वालों को फायदा, अब 50,000 रुपये पर लगेगा टीडीएस
सामान्य नागरिकों के लिए बैंक एफडी पर टीडीएस की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत, अब 50,000 रुपये या उससे अधिक की ब्याज आय पर बैंकों की ओर से टीडीएस काटा जाएगा। वर्तमान में 40,000 रुपये या उससे अधिक की ब्याज पर टीडीएस काटा जाता है। वर्तमान में खाताधारक का पैन नंबर उपलब्ध होने पर बैंकों को एफडी से प्राप्त ब्याज पर 10 फीसदी टीडीएस काटना होता है।
स्वामी फंड-2:15 हजार करोड़ रुपये से पूरा होगा अटके हुए एक लाख घरों का निर्माण
सरकार ने अटकी हुई आवासीय परियोजनाओं में एक लाख घरों का निर्माण पूरा करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के ‘स्वामीह’ कोष-2 की घोषणा की है। इसका उद्देश्य उन घर खरीदारों को राहत प्रदान करना है जिनका निवेश अटका हुआ है। सरकार की किफायती और मध्यम आय आवास के लिए विशेष विंडो (स्वामीह) के तहत, संकटग्रस्त आवास परियोजनाओं में 50,000 घर बनकर तैयार हो चुके हैं।
घर खरीदारों को इनकी चाबियां भी सौंप दी गई हैं। 2025 में 40,000 और घर पूरे होंगे। इससे उन मध्य वर्ग परिवारों को मदद मिलेगी जो अपार्टमेंट के लिए ऋण पर ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं और साथ ही मौजूदा घरों का किराया भी दे रहे हैं। इस सफलता के आधार पर, सरकार, बैंकों और निजी निवेशकों के योगदान से एक मिश्रित वित्त सुविधा के रूप में स्वामीह फंड 2 शुरू किया जाएगा।
किसान होंगे धन-धान्य से धनवान, कर्ज संवारेगा खेती
सरकार ने इस बजट में भी कमजोर किसानों का हाथ पकड़े रखा। किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन का दायरा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है। जाहिर है कि जिन किसानों को धन की कमी की वजह से मनचाही फसल उगाने में दिक्कत हो रही थी, अब उनका रास्ता खुलेगा। सस्ता कर्ज न सिर्फ खेती को मजबूत बनाएगा बल्कि उत्पादन बढ़ने से आर्थिक स्थिति में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है। कर्ज का दायरा बढ़ने से किसानों, मछुआरों, डेयरी से जुड़े 7.7 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। दूसरा सबसे बड़ा एलान पीएम धन-धान्य कृषि योजना के रूप में हुआ। इस योजना के तहत कम उपज वाले 100 जिलों पर सरकार की नजर रहेगी। वित्तीय मदद के साथ ही बीज से लेकर भंडारण और सिंचाई तक की व्यवस्था सरकार करेगी। इस योजना का मकसद किसानों की आय बढ़ाकर उनका जीवनस्तर उठाना है। 1.7 करोड़ किसान इस योजना से सीधे लाभान्वित होंगे। राज्यों की भागीदारी के साथ शुरू होने वाली धन-धान्य योजना कम उत्पादक, मध्यम फसल घनत्व और औसत से कम ऋण मानक वाले जिलों को सहारा देने के साथ ही वहां आधुनिक खेती को बढ़ावा देने का भी काम करेगी।
किसान क्रेडिट कार्ड से बढ़ेगा खेती में निवेश
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत मिलने वाले कर्ज पर सरकार इसके ब्याज पर 2 फीसदी की सब्सिडी देती है। वहीं, किसान द्वारा समय पर लोन चुकाने पर 3 फीसदी की छूट अलग से मिलती है। ऐसे में किसानों को केवल 4 फीसदी ब्याज चुकाना पड़ता है। अब किसानों को पांच लाख तक कर्ज 4 प्रतिशत ब्याज पर मिल सकेगा।
उन्नत किस्म के बीजों के लिए मिशन का संचालन
उन्नत किस्म के बीज उपलब्घ कराने के लिए सरकार ने बड़ी पहल की है। इसके लिए राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन का संचालन किया जाएगा। मिशन का मकसद बीजों की उन्नत किस्मों के अनुसंधान को बढ़ावा देना और पैदावार को बढ़ाना है। इसके अलावा कीट प्रतिरोधी और जलवायु के अनुकूल गुणों से संपन्न बीजों को विकसित करने पर भी मिशन ध्यान केंद्रित करेगा।
सौगात
कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए पांच साल तय, बढ़ेगी गुणवत्ता
कपास की खेती में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए पांच वर्षीय मिशन की घोषणा की गई है। इसके तहत कपास की अधिक लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा दिया जाएगा। देश में कपास उत्पादन को बढ़ाने के लिए कपास प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश में कपास की गुणवत्ता को सुधारने के साथ ही उत्पादन को बढ़ाना है। ये मिशन उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ाने पर जोर देगा।
छोटे किसानों को होगा फायदा
पीएम धन-धान्य कृषि योजना के तहत किसानों को कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होंगे। किसानों को पैदावार बढ़ाने के लिए मुफ्त उर्वरक दिए जाएंगे। छोटे और सीमांत किसानों को कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर पंप और अन्य चीजों को लेकर सब्सिडी भी मिलेगी।
मत्स्य उद्योग को ऊंचाई पर ले जाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र का गठन
मत्स्य उद्योग को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) का गठन किया जाएगा। इस क्षेत्र का अधिकत दोहन करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। फिलहाल समुद्री खाद्य उत्पादन का मूल्य करीब साठ हजार करोड़ है। भारत मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि के क्षेत्र में विश्वभर में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
अंडमान और निकोबार व लक्षद्वीप जैसे क्षेत्रों में मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एसईजेड का गठन करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष फ्रेमवर्क यानी कार्ययोजना तैयार की गई है।
उच्च कर संग्रह से कल्याणकारी योजनाओं में आएगी तेजी
एससी-एसटी, महिलाओं को 2 करोड़ तक लोन
रक्षा क्षेत्र : अब तक का सबसे बड़ा आवंटन
इसमें सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और तेजी से बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखा गया है। 1,92,387 करोड़ रुपये से हथियार, लड़ाकू एवं मालवाहक वायुयान, युद्धपोत खरीदे जाएंगे। पिछले बजट में इसके लिए 1.72 लाख करोड़ आवंटित थे, जिसमें 13,500 करोड़ रुपये अभी खर्च नहीं किए गए हैं।
- 26,816.82 करोड़ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को
- 1.92 लाख करोड़ रुपये से हथियार, उपकरण खरीदेगी सेना
- 9.53% की वृद्धि इस बार रक्षा बजट में की
- गई है। 2024-25 के बजट में 6,21,940 करोड़ रुपये आवंटित थे
- 6.81 लाख करोड़ रुपये रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किए गए हैं
- 8,317 करोड़ रुपये पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों
- के लिए ईसीएचएच के तहत आवंटित, पिछले वर्ष से 19.38% अधिक

देश में महामारी का रूप लेते जा रहे कैंसर का इलाज अब घर के नजदीक हो सकेगा। सरकार ने हर जिला अस्पताल में डे केयर कैंसर देखभाल केंद्र खोलने का फैसला लिया है। इस साल 200 केंद्र खोले जाएंगे। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के 31,053 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ा जाएगा। इससे गांव-देहात के लोग भी तकनीक के जरिये योग्य और प्रशिक्षित डॉक्टरों से सलाह ले सकेंगे। देश में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए अगले पांच साल में 75 हजार नई एमबीबीएस व स्नातकोत्तर सीट जोड़ने का लक्ष्य है। इसमें से 10 हजार सीट इसी साल मेडिकल कॉलेजों में बढ़ाई जाएंगी। बीते 10 साल में सरकार ने एमबीबीएस और स्नातकोत्तर की सीटों में 1.10 लाख यानी 130% की वृद्धि की है।
हर जिला अस्पताल में कैंसर सेंटर होने से मरीजों को उनके शहर और घर के नजदीक ही कैंसर का बेहतर इलाज मिल सकेगा। प्रत्येक सेंटर पर 10 बेड की व्यवस्था होगी जहां मरीज कीमोथेरेपी लेने के बाद शाम को अपने घर जा सकेगा। इतना ही नहीं, मरीज को एक समय का पौष्टिक भोजन भी यहां मिलेगा। देशभर में अभी कई निजी अस्पतालों में कैंसर डे केयर की सुविधा दी जा रही है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में देश में कैंसर के 14,61,427 मामले सामने आए थे और 2025 के अंत तक इसमें 12.8 फीसदी की बढ़ोतरी होने की आशंका है।
चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा…भारत में चिकित्सा पर्यटन टूरिज्म और हील इंडिया अभियान को निजी क्षेत्र के साथ-साथ आसान वीजा मानदंडों सहित बढ़ावा दिया जाएगा। भारत में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की इस हील इन इंडिया पहल के तहत अब तक 170 से भी ज्यादा देशों से भारत आए 2,330,345 मरीजों को ई वीजा मिला है।
36 जीवनरक्षक दवाएं सस्ती…कैंसर, दुर्लभ व पुरानी बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद
कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और अन्य गंभीर पुरानी बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली 36 जीवनरक्षक दवाओं को बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) से पूरी तरह छूट मिलेगी। इसी तरह 5% की रियायती सीमा शुल्क वाली छह अन्य जीवनरक्षक दवाओं को भी इस सूची में शामिल किया जाएगा। इनके उत्पादन के थोक सामग्रियों पर भी यह छूट लागू रहेगी। फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे रोगी सहायता कार्यक्रम के तहत दवाओं को भी इस बीसीडी शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है। हालांकि इसका लाभ कंपनियों को तभी मिलेगा जब मरीजों को दवाएं मुफ्त में दी जाएं। इसके लिए सरकार ने 30 नए रोगी सहायता कार्यक्रमों और 37 अन्य दवाओं को इस छूट में शामिल करने का प्रस्ताव रखा है।
कैंसर की दवाओं में एस्किमिनिब, डारातुमुमैब, टेक्लिस्टामैब, मेपोलिजुमैब, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी रिस्डिप्लम शामिल हैं। ये दवाएं काफी महंगी हैं। रिस्डिप्लम का उपयोग स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी के इलाज में होता है। इसका सालाना खर्च मरीज पर 72 लाख से 1.86 करोड़ रुपये तक आता है।