भारत बंद: दलित और आदिवासी संगठनों का आज भारत बंद, ओडिशा में रेल सेवा प्रभावित, जानें कहा – कहा दिख रहा असर
दलित और आदिवासी संगठनों ने बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। यह बंद हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर बुलाया गया है। ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने मांगों की एक सूची भी जारी की है। इसमें सबसे अहम अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग हैं।
यूपी में भारत बंद से जुड़े प्रदर्शनों पर आया डीजीपी का बयान
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में और एससी/एसटी आरक्षण को वापस लेने की मांग को लेकर भारत बंद का आह्वान किया है। उत्तर प्रदेश DGP प्रशांत कुमार ने बताया, “विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों द्वारा जो भारत बंद का आह्वान किया गया था उसके लिए व्यापक पुलिस बलों की स्थापना की गई है। हमारे अधिकारी संबंधित मजिस्ट्रेटों के साथ लगातार भ्रमणशील हैं। प्रजातांत्रिक तरीके से सभी जगहों से पत्रक लिए जा रहे हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में स्थिति नियंत्रण में है। कहीं भी कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है… सभी पक्षों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों के वार्ता हो चुकी है और सभी ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होगी। हम प्रदेश की जनता को आश्वस्त करना चाहते हैं कि कानून-व्यवस्था किसी भी स्थिति में बिगड़ने नहीं दी जाएगी।”
सिपाही भर्ती पर भारत बंद का असर, प्रश्न पत्र ले जा रहे मजिस्ट्रेट को रोका
भारत बंद का असर अब सिपाही भर्ती परीक्षा पर भी देखने को मिल रहा है। सुबह से कई जिलों में सिपाही अभ्यर्थी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आवागमन बाधित होने के कारण वह समय पर परीक्षा केंद्र पर भी पहुंच नहीं पाए। इधर, वैशाली जिले के गंगा ब्रिज थाना क्षेत्र के सादुल्लापुर में बंद समर्थकों द्वारा प्रश्न पत्र लेकर जा रहे मजिस्ट्रेट को रोक दिया गया। मजिस्ट्रेट ने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन बंद समर्थकों ने उन्हें पत्र पेपर केंद्र पर नहीं ले जाने दिया
संगठन की सरकार से क्या है मांग?
एनएसीडीएओआर ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस फैसले को खारिज किया जाए, क्योंकि यह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा है। संगठन एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर संसद द्वारा एक नए कानून को पारित करने की भी मांग कर रहा है, जिसे संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित किया जाए।
क्यों बुलाया गया है भारत बंद?
दलित और आदिवासी संगठन हाल में सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले से सहमत नहीं है। संगठन ने मामले में विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है। उनकी मानें तो यह ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ केफैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण की रूपरेखा स्थापित की थी।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर बुधवार को किए गए ‘भारत बंद’ के आह्वान का समर्थन किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा, ” “बसपा भारत बंद के आह्वान का समर्थन करती है, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र तथा इसे निष्प्रभावी बनाकर अंततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण एक अगस्त 2024 को एससी-एसटी के उपवर्गीकरण में क्रीमी लेयर से संबंधित उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दोनों समुदायों में भारी रोष व आक्रोश है।”