अयोध्या की पारम्परिक रामलीला का शुभारम्भ सोमवार देर शाम हो गया। पहले दिन की पारम्परिक रामलीला नारद मोह प्रसंग के साथ शुरू हुई। श्रीराम चरित मानस के आधार पर भक्ति भाव से आयोजित होने वाली रामलीला में इस प्रसंग के मंचन का उद्देश्य परमात्मा के धरा पर अवतरण का औचित्य सिद्ध करना है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम चरित मानस में भगवान के अवतरण के कारणों का उल्लेख करते हुए कहाविप्र धेनु सुर संत हित लीन मनुज अवतार’। बताया गया कि भगवान के अवतरण के पांच प्रमुख कारणों में महर्षि नारद का श्राप भी शामिल था।
उधर भगवदाचार्य स्मारक सदन में रामलीला का अनावरण महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने संत-महंतो के साथ भगवान श्रीसीताराम के स्वरुपों की आरती उतार कर किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रामलीला का उद्देश्य भगवान की ओर से स्थापित मानव मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना है। कहा जाता है कि किसी तथ्य को जानने समझने और गुनने के साथ बार बार दोहराते रहने से वह तथ्य हृदयंगम हो जाता है। इसके पहले बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास ने बताया कि इस बार की रामलीला में हर दिन अलग-अलग विद्वान संत भी अलग- अलग पात्रों की भूमिका निभाएंगे। संत तुलसीदास न्यास द्वारा आयोजित रामलीला के महामंत्री महंत संजय दास ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।