5 जून, दिन गुरुवार, पर्व गंगा दशहरा… यह तारीख अब केवल पंचांग में नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृत के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगी। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में गंगा दशहरा के पावन अवसर पर एक नहीं, पूरे 14 देवालयों में एक साथ प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन होगा। यह आयोजन केवल मूर्तियों को जीवंत करने का नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की आत्मा को पुन: धर्ममय करने का होगा। प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में सबसे पहले शिवलिंग की प्रतिष्ठा होगी। राम जन्मभूमि परिसर में श्रीराम के साथ शिव भी पूजित-प्रतिष्ठित होंगे।
गंगा दशहरा के पावन अवसर पर रामनगरी एक बार फिर आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक चेतना की अद्वितीय गवाह बनेगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की रूपरेखा बन रही है। तीन से पांच जून यह उत्सव होगा। हालांकि पूजन का क्रम 30 मई से ही शुरू हो जाएगा। काशी व अयोध्या के 101 आचार्य प्राण प्रतिष्ठा कराएंगे। 30 मई को ही परकोटा के शिव मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शिव वास जरूरी होता है। 30 मई को शिव वास रहेगा, जिसके चलते इसी दिन शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कर ली जाएगी। इसके बाद 13 विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा गंगा दशहरा पर होगी।