कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार प्रदेश भर में आस्था विश्वास के साथ मनाया जा रहा है। धार्मिक नगरी अयोध्या और वाराणसी में सुबह से अब तक लाखों श्रद्धालु सरयू और गंगा में डुबकी लगा चुके हैं। स्नान के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में सुबह चार बजे से ही लोगों का जमाव घाटों पर शुरू हो गया था।
अयोध्या में पर्व की पूर्व संध्या पर सरयू के स्नान घाट से प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए दर्शनार्थियों की कतारें लगी रहीं। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है। उधर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। ड्रोन के साथ ही सादी वर्दी में सुरक्षा कर्मी पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। वारामसी में गंगा घाटों पर भारी भीड़ है।
इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों में भी श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। घाटों पर मेले का भी आयोजन किया गया। कार्तिक पूर्णिमा स्नान का मुहूर्त 15 नवंबर की सुबह 4:37 बजे से शुरू होकर 16 नवंबर की सुबह 2:29 बजे तक रहेगा।
ये है कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा तिथि को पुराणों में स्नान, व्रत व दान की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर असुर का संहार किया था। इसी तरह सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व दीपदान का महत्व है।
अयोध्या में सरयू में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिरों में दर्शन किए। इस दौरान देवालय जयकारों से गूंजते रहे। श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। लोगों को डूबने से बचाने के लिए बचावकर्मी स्टीमर के साथ हर समय मौजूद हैं।
पवित्र स्नान के बाद लोगों ने घाटों पर दीप जलाए और मंगलकामनाएं की।
बलरामपुर में कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार को राप्ती नदी में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई । यहां सिसई घाट पर मेले का आयोजन किया गया है। वहीं, देवी पाटन मंदिर में भी पूजन अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम किए हैं।