रामलला के प्राकट्य के साथ ही घर-घर, मंदिर-मंदिर आनंद का सागर हिलोरे ले रहा है और हो भी क्यूं न क्योंकि जो आनंद सिंधु सुख रासरी, सीकर ते त्रैलोक सुपासी, स्से सुख धाम ‘राम’ अस नामा अखिल लोक दायक विश्वामा.”। इसी उल्लास का प्रगटीकरण सोमवार को लक्ष्मण किला सहित विभिन्न मंदिरों में संत साधकों ने किया। इस अवसर पर परम्परागत रूप से रंगभरी बधाई का आयोजन किया गया जिसमें मधुर उपासना परम्परा के आचायों के रचित पदों के गायन के साथ अधीर-गुलाल उड़ाते हुए समस्त श्रद्धालुओं को बधाई दी गई।
वैष्णव संतों के लिए रामनवमी का पर्व बहुत ही खास है और जब आराध्य के प्राकट्य की बेला हो तो इस सुखद अनुभूति को छिपा पाना भी आसान नहीं रहता है। इसका संकेत गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने भी किया कि
गृह-गृह बाज बधाव शुभ प्रगटे सुषमा कंद, हरष वंत सब जह तह नगर नारी नर वृंद’। लक्ष्मण किला में आयोजित उत्सव के दौरान बाल रूप प्रभु राम के स्वरूप को निहारने और उन्हें गोद में लेकर दुलारने को लालायित संत-साधक और नगरवासी माता कौशल्या से मनुहार करते हैं। इस मनुहार के साथ सिर पर खिलौनों की टोकरी रखकर गाते हैं कि ‘खिलौना ले लो मैख्या में आई बड़ी दूर से, खिलौना ले लो। इसके साथ ही खिलौने और टाफियों के साथ टूथ्य भी लुटाए जा रहे थे। इन खिलौनों को बच्चों की लुटने के लिए बाल-वृद्ध व नर-नारी सभी शर्म छोड़कर इस तरह शामिल हुए जैसे बच्चे पतंग लूटने के लिए लालायित होकर दौड़ते हैं।
मिचलानी सखियों के साथशामिल हुए जनकपुर के संतः रामनवमी पर रामलला के प्राकट्योत्सव में सम्मिलित होने के लिए नेपाल राज्य स्थित जनकपुर के राम-जानकी मंदिर के महंत रोशन शरण मिथिला धाम की सखियों के साथ यहां आए हैं। लक्ष्मण किला में रंग भरी बधाई के उत्सव में वह भी पूरी मंडली के साथ शामिल हुए। इस मौके पर किलाधीश महंत मैथिली रमण शरण महाराज ने उनका स्वागत भी किया और अबीर-गुलाल से उन्हें सराबोर कर उत्सव को बधाई दी।
हनुमत निवास के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण महाराज भी पूरे आनंद में
अतिथियों को अंगवस्त्र भेंटकर बधाई देते रहे।श्री लक्ष्मणकिला के अधिकारी सूर्यप्रकाश शरण के संयोजन में आए हुए श्रद्धालुओं का स्वागत किया