अयोध्या- परंपरा टूटी: हनुमानगढ़ी से पहली बार बाहर निकले गद्दीनशीन महंत प्रेमदास, किए रामलला के दर्शन

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योध्या की पावन धरा पर बुधवार को नया अध्याय लिखा गया। आस्था, प्रेम और भक्ति से सजीव होता एक ऐसा पल, जिसने हर हृदय को भावविभोर कर दिया। हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने प्रभु श्रीरामलला के दर्शन किए, तो ऐसा लगा मानो युगों-युगों से प्रतीक्षित भक्ति की गंगा फिर से बह निकली हो।

हनुमानगढ़ी की लोकतांत्रिक व्यवस्था में गद्दीनशीन अपने 52 बीघा परिसर से बाहर नहीं निकलते हैं। यह परंपरा सन 1737 से से चली आ रही है। बुधवार को अयोध्या भक्ति, परंपरा व समर्पण के अद्वितीय संगम की साक्षी बनी। सुबह सात बजे हनुमानगढ़ी के प्रवेश द्वार पर सबसे पहले हनुमानगढ़ी के निशान का विधिविधान से पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद शाही अंदाज में शोभायात्रा निकली।

 

गद्दीनशीन ने की राम मंदिर में परिक्रमा
रामलला के दर्शन करते समय महंत प्रेमदास की आंखों में भावनाओं का सैलाब दिखाई दे रहा था। वह रामलला के दरबार में करीब एक घंटे रहे। उन्होंने रामलला के गर्भगृह के परिक्रमा पथ का उद्घाटन रामलला की पहली परिक्रमा कर किया।

राम रक्षा स्त्रोत का पाठ सुनाया
गद्दीनशीन ने रामलला को राम रक्षा स्त्रोत का पाठ सुनाया। रामलला को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग अर्पित किया गया। हनुमानगढ़ी की रसोई में बने पूड़ी, सब्जी, कचौड़ी, मालपुआ आदि को थाल में सजाकर रामलला को समर्पित किया। इसके अलावा फल व ड्राई फ्रूटस व मिठाइयां भी अर्पित की गईं। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने श्रीरामलला की मूर्ति भेंटकर गद्दीनशीन का अभिनंदन किया। रामलला की आरती उतारने के दौरान वह भावुक हो गए।

हनुमानजी के आदेश पर किए प्रभु के दर्शन
आज मेरे जीवन का सबसे पवित्र क्षण है। हनुमान जी महाराज के आदेश पर मैं रामलला के दर्शन को गया था। ऐसा लगा जैसे रामलला साक्षात मेरे सामने विराजमान हों। यह केवल दर्शन नहीं, यह आत्मा का परम मिलन है। रामलला से देश में सुख-शांति, सर्वे भवंतु सुखिन: की कामना की है। पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों की आत्मशांति की भी प्रार्थना की है। पीएम मोदी से कहना है कि इस घटना में शामिल आतंकियों को कड़ी सजा दी जाए।
– महंत प्रेमदास, गद्दीनशीन, हनुमानगढ़ी

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