अयोध्या- सनातन जातियों में बंटता जा रहा है ,कटता जा रहा है।

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के तत्वावधान में कथाव्यास राधेश्याम शास्त्री के श्रीमुख से हो रही अमृत वर्षा के द्वितीय दिवस उन्हों ने कहा
श्रीराम लला के मंदिर में या कुंभ में गंगा स्नान के दौरान कोई किसी से पूछता है कि उसकी क्या जाति है।
तो फिर हम क्यों संकीर्णता के दायरे में बंधे हैं।
सनातन जातियों में बंटता जा रहा है ,कटता जा रहा है। जाति से ऊपर उठिए और सनातन मानकर अपने को एक मानकर समरस हो जाइये।
आना वाले समय को दृष्टिगत रखते हुये एता आवश्यक है।
मां निर्माता होती है।मां जैसा चाहती बच्चों को उसी प्रकार स्वरूप की रचना कर देती हैं।संस्कृति और संसकार की जननी है,मां।
हिंसा और पाप होते रहते हैं लेकिन पुण्य के लिये प्रयास करने पड़ते हैं।
राम लला के प्रतिष्ठित होने के उपरांत अब सनातन के उत्थान का समय चल रहा है।
सेवा ही भजन है,मठ मंदिरो सेवा करना भी भजन ही है।
कोई कितना भी धर्मांतरित करने का प्रयास करे जब भक्ति और भजन के प्रति समर्पण होगा तो वह धर्मांतरित नही हो सकता है।
धर्म संशय का विषय नही विश्वास का विषय है।
जो भगवान से मिलने की जिज्ञासा जगा दे वही कथा है।रामकथा भगवान से मिलने की माध्यम है।
कभी श्रीराम के प्रकटीकरण पर नास्तिकों ने प्रश्न खड़ा किया आज रामलला न्यायायिक निर्णय के उपरांत अपने आशन जन्मभूमि पर विराजमान हैं।यह भक्तों का शौभाग्य है कि वह इतने संघर्षों के उपरांत उनके दर्शन प्राप्त कर रहे हैं।
इस अवसर पर डाक्टर अनिल मिश्र , प्रचारक गोपाल , इकबाल अंसारी, उमेश पोरवाल, रामशंकर , प्रदीप गुलशन,रचना शर्मा ,संत बेलूराम,कैप्टन बृजेश सिंह,प्रेमप्रकाश मिश्र, ओमप्रकाश पांडेय,रामबहादुर सिंंह,आदि उपस्थित रहे।

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