उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्र के जिलों में भेड़िये और तेंदुए के बाद अब टाइगर ने दस्तक दे दी है। नेपाल सीमा से सटे कई गांव दहशत के साए में हैं। लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं। कारण… लगभग हर दिन आदमखोर जंगलियों के हमले में या तो किसी की जान जाती है या फिर कोई घायल होता है। सबसे ज्यादा बच्चे व महिलाएं इन आदमखोरों का शिकार बनते हैं।
दो दिन पहले बलरामपुर जिले में भारत-नेपाल सीमा से सटे पचपेड़वा क्षेत्र में जंगली जानवर के हमले में दो महिलाओं 25 वर्षीय कमला और 28 साल की उर्मिला कोरी की जान चली गई। भांभर रेंज के नेपाल सीमावर्ती बिशनपुर कोडर गांव की रहने वाली कमला घर से करीब 300 मीटर ही गई होंगी कि उन पर आदमखोर ने हमला करके अपना शिकार बना लिया।
दूसरी घटना में नेपाल सीमा पर परसरामपुर गांव के बेलभरिया बीट के पास उर्मिला कोरी पर जंगली ने हमला किया। वह मूल रूप से नेपाल राष्ट्र के कपिलवस्तु के अमौली गांव की रहने वाली थीं। वह पचपेड़वा में अपने रिश्तेदार के घर जा रही थीं। रास्ते में जान चली गई।
करीब डेढ़ महीने पहले, 12 नवंबर 2025 को पचपेड़वा क्षेत्र के ही सड़वा गांव में बाघ ने किसान बिकाई प्रसाद को मार डाला था। इस बार की घटनाओं में भी ग्रामीणों ने बताया कि हमला बाघ ने किया है। जबकि, वन विभाग का दावा है कि तेंदुओं के हमले में दोनों की जान गई है।
एसडीओ मनोज कुमार का कहना है कि हमले की स्थिति को देखा गया है। बाघ का दावा सही नहीं है, दोनों जंगली जानवर तेंदुए ही हैं। इसकी रिपोर्ट भी उच्चाधिकारियों को भेजी गई है। ग्रामीणों को सतर्क किया गया है।
वन क्षेत्राधिकारी योगेश कुमार ने ग्रामीणों को अकेले जंगल की ओर न जाने और समूह में चलने की सलाह दी है। कहा कि महिलाएं जंगल में अकेले लकड़ी बीनने न जाएं। जंगली जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों से निगरानी की जाएगी।
बहराइच जिले में भी आए दिन आदमखोर जंगली लोगों पर हमला करते रहते हैं। दो दिन पहले बृहस्पतिवार की सुबह नवाबगंज इलाके में बाघ ने दस्तक दी। चनैनी गांव की महिलाएं शौच के लिए गई थी, वहां पर बाघ को देखा तो उन्होंने शोर मचाया। शोर सुनकर ग्रामीण मौके की तरफ भागे।
महिलाओं को बचाने के लिए पहुंचे लोगों पर बाघ ने शिकार के लिए झपट्टा मारा। इससे दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल 50 वर्षीय रामधीरज यादव और 35 वर्षीय नागे कश्यप चनैनी गांव के ही रहने वाले हैं। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना से गांव में दहशत का माहौल है।
डीएफओ राम सिंह यादव ने बताया कि हमलावर वन्यजीव की तलाश के लिए टीम कॉबिंग कर रही है। क्षेत्र की घेराबंदी कर सघन निगरानी की जा रही है। वन विभाग की टीम लगातार क्षेत्र पर नजर बनाए हुए है।
इसके अलावा कतर्नियाघाट जंगल के निकट घाघरा नदी के कछार में बसे गांव धरमपुर रेतिया और संपतपुरवा में एक सप्ताह से भेड़ियों की दहशत बनी हुई है। भेड़ियों ने दो दिन पहले एक महिला को दौड़ा लिया। किसी तरह उसकी जान बच सकी।
ग्रामीणों का कहना है कि भेड़िये लगातार नदी के किनारे दिखाई पड़ रहे हैं। सुबह-शाम शिकार की तलाश में आबादी में घुस जाते हैं। दो दिन पहले संपतपुरवा निवासी कैलाश की पत्नी दूध लेने धरमपुर रेतिया जा रही थीं। तभी एक भेड़िये ने उन्हें दौड़ा लिया। किसी तरह उनकी जान बच सकी।
लगातार हो रही घटनाओं से क्षेत्र के लोगों में भय व्याप्त है। ग्रामीणों ने वन विभाग व प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है, ताकि भविष्य में इस तरह की दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सके।







