उत्तरकाशी के धराली में पांच अगस्त को खेरा गाड (खीरगंगा) के 2,50,885 टन मलबे ने तबाही मचाई थी। हर्षिल अब भी खतरे में है। सचिव आईटी नितेश झा के निर्देश पर गठित वैज्ञानिक समिति ने इस आपदा की पहली रिपोर्ट सौंप दी है। विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों ने एकमत होकर बताया है कि ऊपर तेज बारिश से भूस्खलन बांध के टूटने के कारण यह आपदा आई।
धराली आपदा को लेकर बीते दिनों यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत की अध्यक्षता में एक वैज्ञानिक समिति गठित हुई थी। इसमें आईआईआरएस, वाडिया के वैज्ञानिक भी शामिल थे। समिति ने लिडार सर्वे, एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के ड्रोन सर्वे, स्थानीय लोगों से बातचीत, सेटेलाइट अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है, जो कि इस आपदा की पहली वैज्ञानिक रिपोर्ट है।








