वक्फ बोर्ड: इतिहास में गहरी हैं वक्फ की जड़ें, जानिए इसका असली मतलब और भारत में इसकी शुरुआत  कैसे हुई 

Spread the love

 

 

क्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर देशभर में चर्चाएं तेज हैं। संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे लोकसभा में पेश कर दिया, जबकि इससे पहले संयुक्त संसदीय समिति (JCP) में 44 संशोधन प्रस्तावित हुए, जिनमें से 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह बिल संसद में आया, लेकिन इसे लेकर कई पक्ष और विपक्ष के तर्क सामने आ रहे हैं।

यह बहस सिर्फ एक नए कानून तक सीमित नहीं, बल्कि इसके पीछे वक्फ की ऐतिहासिक जड़ें भी छिपी हैं। आखिर वक्फ क्या है? इसकी शुरुआत भारत में कब हुई और इसका मकसद क्या था? मौजूदा विवाद के बीच, आइए जानते हैं वक्फ से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब, जो हमें इतिहास तक ले जाते हैं।

वक्फ का अर्थ क्या है?

वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मूल “वकुफा” से लिया गया है। “वकुफा” का अर्थ होता है ठहरना या रोकना, और इसी से बना “वक्फ”, जिसका मतलब है संरक्षित करना। इस्लाम में वक्फ उस संपत्ति या वस्तु को कहते हैं, जो जन-कल्याण के लिए समर्पित कर दी जाए। इसे एक तरह का दान भी कह सकते हैं, लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण शर्त होती है। एक बार वक्फ घोषित की गई संपत्ति को बेचा या बदला नहीं जा सकता, बल्कि इसे हमेशा जन-हित में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

वक्फ के अंतर्गत कोई भी चल या अचल संपत्ति आ सकती है। आमतौर पर इसमें घर, खेत, जमीन, मस्जिद, मदरसे, दरगाहें, कब्रिस्तान जैसी संपत्तियां शामिल होती हैं। 

इस्लाम में वक्फ की शुरूआत

वक्फ की परंपरा इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद (570-632 ईस्वी) के समय से मानी जाती है, जिसका प्रमाण विभिन्न हदीस संग्रहों, जैसे कि सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम और अबू दाऊद में मिलता है। वक्फ का पहला उल्लेख पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के समय मिलता है, जब खलीफा उमर (रजि.) ने खैबर में एक उपजाऊ जमीन प्राप्त की। वह इसे कैसे उपयोग करें, यह जानने के लिए उन्होंने पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) से सलाह मांगी। पैगंबर ने फरमाया..

और पढ़े  2025 Yoga Day: भारत में योग दिवस पर बने वर्ल्ड रिकॉर्ड, गिनीज बुक में दर्ज हुआ गुजरात और आंध्र प्रदेश का नाम

“इस संपत्ति को रोक लो, इसे किसी को मत दो, लेकिन इससे होने वाले लाभ को लोगों की भलाई में खर्च करो। इसे न बेचा जाए, न उपहार में दिया जाए और न ही इसे विरासत में छोड़ा जाए।”

यही वह पहला ऐतिहासिक उदाहरण था, जब किसी संपत्ति को जन-कल्याण के लिए वक्फ किया गया। इसके बाद इस्लामिक समाज में वक्फ की परंपरा शुरू हो गई, जहां लोग अपनी जमीनें, धन और अन्य संसाधन समाज की भलाई के लिए समर्पित करने लगे।

इसी तरह, हजरत उस्मान (रज़ि.) ने मदीना में “बीरे रौमा” नामक कुएं को वक्फ कर दिया था, जिससे सार्वजनिक हित में पानी की आपूर्ति होती थी। इन उदाहरणों के आधार पर इस्लामी शासन में वक्फ को एक स्थायी धार्मिक और परोपकारी संस्था के रूप में मान्यता दी गई, जिससे मस्जिदों, मदरसों, अस्पतालों और समाज सेवा से जुड़े अन्य कार्यों के लिए संपत्तियां समर्पित की जाने लगीं।

वक्फ का एक और ऐतिहासिक उदाहरण

एक और रोचक घटना पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) के समय की ही है, जब 600 खजूर के पेड़ों वाला एक बाग वक्फ किया गया था। इससे होने वाली आमदनी का इस्तेमाल मदीना के गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए किया जाता था। यह वक्फ की शुरुआती मिसालों में से एक माना जाता है, जिसने आगे चलकर इस्लामी समाज में एक महत्वपूर्ण परंपरा का रूप ले लिया।

 भारत में वक्फ कब आया?

भारत में वक्फ की शुरुआत इस्लाम के आगमन के साथ ही मानी जा सकती है, लेकिन इसे औपचारिक रूप से कब लागू किया गया और पहला शासक कौन था जिसने इसे अपनाया, यह साफ तौर पर कहना कठिन है। ऐसा माना जाता है कि भारत में वक्फ संपत्ति की शुरुआत मोहम्मद गोरी के दौर में हुई। इतिहास के अनुसार, सबसे पहला वक्फ दान केवल दो गांवों से शुरू हुआ, जो सीधे तौर पर मोहम्मद गोरी से जुड़े थे।

और पढ़े  ईरान-इज़रायल विवाद-  ईरान ने दागीं इस्राइल पर मिसाइलें,प्रधानमंत्री मोदी ने की ईरान के राष्ट्रपति से बातचीत, क्षेत्रीय तनाव को लेकर जताई गहरी चिंता

12वीं शताब्दी के अंत में जब मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर भारत में अपनी सत्ता स्थापित की, तब उसने अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के साथ-साथ इस्लामिक संस्थानों को भी मजबूत करने का प्रयास किया। इसी उद्देश्य से, उसने मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए दो गांवों को दान में दिया। यह भारत में वक्फ संपत्ति के सबसे शुरुआती उदाहरणों में से एक माना जाता है। भारत में इस्लाम की आमद के साथ ही वक्फ के उदाहरण मिलने लगते हैं। वे इस प्रकार हैं:
1. दिल्ली सल्तनत और वक्फ
भारत में इस्लाम के आगमन के साथ ही वक्फ के उदाहरण देखने को मिलते हैं। दिल्ली सल्तनत के दौर से वक्फ संपत्तियों का उल्लेख ऐतिहासिक दस्तावेजों में पाया जाने लगा। सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210) और इल्तुतमिश (1211-1236) ने धार्मिक संस्थानों और मदरसों के लिए वक्फ संपत्तियां दान कीं। इस काल में कई मस्जिदों और सामाजिक कल्याणकारी संस्थाओं के लिए वक्फ संपत्तियां आरक्षित की गईं। फिरोज शाह तुगलक (1351-1388) ने वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और प्रशासन के लिए नियम बनाए।

2. मुगल काल 
मुगल साम्राज्य के दौरान वक्फ को एक सुदृढ़ संस्थागत रूप दिया गया। अकबर (1556-1605) के शासन में राज्य द्वारा संचालित धार्मिक और सामाजिक संस्थानों को वक्फ सम्पत्तियां प्रदान की गईं। इस काल में कई मदरसे, खानकाहें (सूफी केंद्र) और अस्पताल वक्फ के अंतर्गत आए।

3. ब्रिटिश काल और वक्फ कानून
ब्रिटिश शासन में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में बदलाव आया। 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लाने के प्रयास किए, जिससे कई संपत्तियों पर विवाद हुआ। वक्फ एक्ट 1923 और वक्फ एक्ट 1934 लाकर ब्रिटिश सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को कानूनी रूप दिया, जिससे उनका रिकॉर्ड और प्रशासनिक निगरानी स्थापित हुई।

और पढ़े  पीएम मोदी- योग को जन आंदोलन बनाने का आह्वान,वैश्विक संकल्प बने 'योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ

Spread the love
  • Related Posts

    B-2 बमवर्षक, बंकर बस्टर्स, टॉमहॉक्स..अमेरिका के हमले में ईरान के फोर्डो परमाणु केंद्र को हुआ भारी नुकसान, सैटेलाइट तस्वीरों से चला पता

    Spread the love

    Spread the loveअमेरिका ने इस्राइल का साथ देते हुए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया। अमेरिका ने हमले के लिए अपने प्रमुख हथियारों का इस्तेमाल किया। इसमें…


    Spread the love

    ईरान-इज़रायल विवाद-  ईरान ने दागीं इस्राइल पर मिसाइलें,प्रधानमंत्री मोदी ने की ईरान के राष्ट्रपति से बातचीत, क्षेत्रीय तनाव को लेकर जताई गहरी चिंता

    Spread the love

    Spread the love इस्राइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गया है। संघर्ष विराम के लिए स्विट्जरलैंड के जिनेवा में ईरान और यूरोपीय देशों के बीच…


    Spread the love

    error: Content is protected !!