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बच्चा है या अजूबा: इसे भगवान का अवतार कहे या किसी गड़बड़ी से हुआ इस बच्चे का जन्म! कुछ देखना नहीं चाह रहे, तो कुछ भीड़ लगा रहे है

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बच्चा है या अजूबा: इसे भगवान का अवतार कहे या किसी गड़बड़ी से हुआ इस बच्चे का जन्म! कुछ देखना नहीं चाह रहे, तो कुछ भीड़ लगा रहे है

बिहार

यह बच्चा आम बच्चों की तरह रोते हुए जन्मा। लेकिन, जब इसका चेहरा सामने आया तो घर वाले भी रोने लगे। वजह थी उसका इस तरह असामान्य होना। वह इतना असामान्य है कि कुछ लोग उसे भगवान मानकर देखने आ रहे। वैसे कुछ लोग उसे दूसरे ग्रह का भी बताते हुए दूरी बना रहे हैं। लेकिन, न तो वह भगवान है और न दूसरे ग्रह से आया कोई प्राणी। वह एक बीमारी के कारण इस तरह एक मां की गोद में आया है। बच्चे का चेहरा सामान्य से बड़ा है। चेहरा से लेकर पूरे शरीर पर चमड़ा उजला और उठा हुआ है। आंखें बाहर निकली हुईं और लाल लोथ की तरह हैं। इतना असामान्य है कि उसकी तस्वीर नहीं प्रकाशित की जा सकती। लेकिन, इस असामान्यता के बावजूद सबसे सामान्य बात यह भी है कि उसकी मां उससे न डर रही है और न भाग रही है। गोद में लिए चल रही है। क्योंकि, मां तो मां होती है।

किस तरह की बीमारी के कारण हुआ ऐसा- जानें
खबर बगहा के रामनगर से है। रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक प्रसूता महिला ने इस अजीबोगरीब बच्चे को जन्म दिया। जैसे ही बच्चे का जन्म हुआ, उसके इस तरह असामान्य होने की जानकारी जंगल में आग की तरह फैल गई। कुछ देर बाद ही उसे देखने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचने लगे। कुछ महिलाओं ने उसे देखकर प्रणाम किया और ईश्वर का अवतार बताया। वैसे कुछ लोग उससे डर कर भाग भी रहे थे। रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. चंद्र भूषण ने बताया कि गर्भ के अंदर ही बच्चे में असामान्यता आ गई। हार्लेक्विन इचथियोसिस के कारण इस तरह की स्थिति है। ऐसी बीमारी लाखों बच्चों में से किसी एक को होती है। बच्चे को जन्म देने के बाद मां सुरक्षित है। बच्चे को बेतहर इलाज के लिए सदर अस्पताल बेतिया रेफर कर दिया गया है। जन्म देने वाली मां के प्रति संवेदना रखते हुए ‘अमर उजाला’ उनकी तस्वीर या पहचान उजागर नहीं कर रहा है।

जिनेटिक बीमारी है यह, कभी-कभी समाधान होता है
बिहार के प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. पी. मिश्रा ने बताया कि इचथियोसिस के कारण ऐसे बच्चों का जन्म होता है। यह जेनेटिक, यानी अनुवांशिक बीमारी है। कई बार माता-पिता में इसके लक्षण नहीं भी दिखें, तो भी बच्चे में ऐसा दिख सकता है। ऐसे बच्चों को स्टेरॉयड और कुछ लोशन के जरिए ट्रीटमेंट दिया जाता है, जो विशेषज्ञ की निगरानी में ही संभव है। संभव है कि परिवार में कहीं इसका लक्षण कभी थोड़ा दिखकर रह गया हो। जब इसका लक्षण दिखा होगा तो चमड़े पर ही कुछ असामान्य स्थिति होगी। गर्भ में बच्चा जब इचथियोसिस के साथ डेवलप होता है तो इस तरह पूरे शरीर में परेशानी होती है। सही इलाज होने पर कई बार ऐसे बच्चों के बचने की संभावना भी रहती है।

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