एक खाकी वर्दी वाला ऐसा भी:- पुलिस का एक जवान ऐसा जिसने अपने समाज कल्याणकार्य से किया पुलिस विभाग का नाम रौशन….
मध्यप्रदेश / इंदौर –
मध्यप्रदेश पुलिस का एक जवान ऐसा जिसने अपने समाज कल्याणकार्य से किया पुलिस विभाग का नाम रौशन…. परोपकारी भावना का परिचय देते हुए सच्चे भारतीय होने का दिया सबूत…
आज तक आप सभी ने फिल्मों के हीरो को ही देखा है लेकिन असल जिंदगी में हीरो की भूमिका निभाते हुए आज हम एक शख्स से आपको रूबरू कराते हैं।।
आज तक पुलिस विभाग के जवानों का काम समाज मे सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखना है। कोई भी व्यक्ति के साथ अत्याचार न हो इस व्यवस्था को भी बनाये रखने का दायित्व सुरक्षा विभाग को ही मिला है। लेकिन क्या आपने सुना है एक पुलिस कर्मचारी जो समाज के लिए सुरक्षा व्यवस्था मे मुस्तैद भी रहता है और दूसरी ओर समाज मे ही जी रहे एक ऐसे हिस्से के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है जिन्होंने परिस्थिति, हालता और आर्थिक तंगी के चलते शिक्षा से कोसो दूर है।
हम बात कर रहे है संजय साँवरे की जो मध्यप्रदेश पुलिस का एक जवान है। वर्तमान मे संजय Additional DCP कार्यालय जोन-4 में पदस्थ है। संजय से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि हमने एक पहल की शुरूआत की थी, वर्ष 2016 में जिसका नाम हमने ऑपरेशन स्माईल रखा था। जब यह पहल की शुरूआत की तब क्लास में 3 बच्चें पढ़ने आते थे। अब यहां लगभग 52 बच्चें पढ़ते है। हर सण्डे संजय इन्हें ड्यूटी से समय निकाल कर पढ़ाने जाता है व अपने सैलरी के पैसे से ही इन्हें शिक्षा की सामग्री दिलाता है।
5 साल का बच्चा जो ट्रेन हादसे में अपने हाथ व पैर गवा चुका है और अभी तक इसके माता-पिता का पता नहीं चला सका है और इसकी मदद के लिए प्रयास कर रहे संजय सांवरे जो कि पूर्ण रूप से उसकी सहायता कर रहे हैं जो ड्यूटी से समय मिल रहा है वह उस समय में इस मासूम बच्चे के माता-पिता को खोजने का हर संभव प्रयास कर मदद जुटा रहे हैं हम ऐसे नागरिक का और एक सच्चे देशभक्त का हमेशा सम्मान करते हैं।।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य ऐसे बच्चों को शिक्षित करना है जो शिक्षा के मार्ग से भटक चुके है या अपने भविष्य में बहुत कुछ करना चाहते है लेकिन आर्थिक तंगी व परिस्तिथि के अभाव में शिक्षा के द्वार तक नही पहुँच पाते। संजय आगे बताते है कि यंग जनरेशन को यही मेसेज देना चाहूंगा कि सोशल मीडिया जितना अच्छा है उतना ही बुरा है। यह अपने ऊपर निर्भर करता है कि आप इसका कैसे उपयोग करते है। कोशिश करें की उसका सदुपयोग करे। संजय ने बच्चों के माता पिता के लिए भी संदेश देते हुए बताया कि यही सलाह दूंगा की वो अपने बच्चों का आधार कार्ड बने…ATM कार्ड बिल्कुल ना बनें।
ऐसे मे संजय साँवरे एक सच्चे भारतीय होने का परिचय देते नजर आ रहे है। शासन प्रशासन को संजय के इस अभियान को एक वार मिशन की तरह देखनी चाहिए क्योंकि अगर बच्चे देश के भविष्य है तो वर्तमान मे समाज मे रहने वाले लोग देश का वर्तमान है। जबतक वर्तमान की सोच बेहतर भविष्य बनाने की न हो जाये तबतक देश का भविष्य अशिक्षित और अंधकारमय रहेगा। अब देखने वाली बात यह होंगी कि संजय साँवरे कब तक अकेले ही इस समाज को शिक्षित बनाने के अभियान चलाते है या आगे समाज से कुछ अच्छे लोग इस अभियान मे अपनी अपनी योगदान देते है और कब तक शासन प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित होता है!