हल्दूचौड़ / बेरीपड़ाव :- यहां भी कभी चलते थे कल कारखाने, सोयाबीन फैक्टरी और जलपैक के नाम से जानी जाती थी फैक्टरी, अब तो खंडहर ही शेष रह गए हैं

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हल्दूचौड़ की सोयाबीन फैक्टरी

वर्ष 1980 से लेकर 1995 तक हल्दूचौड़ की सोयाबीन फैक्टरी भी खासी प्रसिद्ध रही। इसकी स्थापना 1982 में एनडी तिवारी के प्रयासों से ही हुई थी। तब यहां सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला, लेकिन इसे भी कुप्रबंधन से नहीं बचाया जा सका। लगातार बढ़ते घाटे के कारण यह फैक्टरी भी वर्ष 1996 में हमेशा के लिए बंद हो गई और चार सौ से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो गए। इतना ही नहीं, क्षेत्र के उन हजारों किसानों को भी झटका लगा जो इस फैक्टरी के लगने के बाद सोयाबीन की खेती से जुड़े थे और फैक्टरी को सोयाबीन उपलब्ध कराते थे।

बेरीपड़ाव में थीजलपैक इंडिया की फैक्टरी

वर्षों पहले हल्द्वानी के समीप बेरीपड़ाव में जलपैक इंडिया की स्थापित की गई थी। यहां पॉलिस्टर फिल्म का उत्पादन होता था। इस फैक्टरी में दो सौ से अधिक लोगों को रोजगार मिला था लेकिन वर्ष 2014 में यह फैक्टरी भी बंद हो गई जिसके चलते यहां कार्यरत कर्मचारी बेरोजगार हो गए।

उत्तराखंड जब यूपी का हिस्सा था तब कुमाऊं में कई बड़े उद्योग लगे, लेकिन वे ज्यादा समय नहीं चल सके। अब हमारा प्रयास है कि रानीबाग स्थित एचएमटी फैक्टरी की जमीन पर ऐसे उद्योग स्थापित हों जो न केवल दीर्घकालिक हों, बल्कि उनसे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिले। इसमें पर्यटन से जुड़े उद्योग प्रमुख हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी वार्ता की जाएगी।
-अजय भट्ट, केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्थानीय सांसद)।


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