हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को राहत नहीं दी है। हाईकोर्ट में दाखिल पांचों जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद इन याचिकाओं को न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की अगुवाई वाली खंडपीठ को भेज दिया गया है।
मामले के अनुसार रेलवे भूमि पर काबिज मुस्तफा हुसैन, मोहम्मद गुफरान, टीकाराम पांडे, मदरसा गुसाईं गरीब नवाज और भूपेंद्र आर्य व अन्य अतिक्रमणकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सरकार यदि उन्हें हटाती है तो उनका पुनर्वास भी किया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं दी और सभी जनहित याचिकाओं को शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ को भेज दिया। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष हुई।
नौ नवंबर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दस सप्ताह के भीतर रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं उन्हें रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई की जाए। रेलवे की ओर से कहा गया था कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर इस भूमि पर काबिज लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया जा चुका है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए हैं। दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा-निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हुआ है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वालृों को नोटिस देकर छह सप्ताह के भीतर हटाएं ताकि रेलवे का विस्तार हो सके।