Modi Govt 8 Decision : प्रधानमंत्री मोदी के 8 साल में 8 बड़े फैसले, देश की अर्थव्यवस्था में देखने को मिले बड़े बदलाव..

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को आठ साल पूरे हो चुके हैं। इस अवधि में देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़े बदलाव देखने को मिले। एक ओर भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी के तौर पर उभरा, वहीं देश की आर्थिक हालत पर कोरोना का काला साया भी पड़ा। आर्थिक स्तर पर देखें तो जहां मोदी शासन में देश ने नए मुकाम हासिल किए, तो कई मोर्चों पर निराशा हाथ लगी। आठ सालों में आर्थिक मोर्चे पर हुए बदलावों को आठ बिंदुओं से समझते हैं…

1. देश की जीडीपी का हाल
26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला। उस वक्त देश की जीडीपी वृद्धि की दर 7.4 फीसदी थी। 2016 तक इसमें इजाफा हुआ। उस वक्त ये बढ़कर 8.3 फीसदी तक पहुंच गई। 2017 से इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। 2019 में जीडीपी वृद्धि दर घटकर चार फीसदी पर पहुंच गई। 2020 में कोरोना के असर के चलते जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक हो गई। उस वक्त ये दर -7.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। तब भारत की जीडीपी 112 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी। आज भारत की जीडीपी 232 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।

2. मोदी राज में महंगाई दर
अप्रैल 2022 में देश में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी हो गई है। ये आठ साल का उच्चतम स्तर है। वहीं, थोक महंगाई भी तेजी से बढ़ते हुए 15 फीसदी के स्तर को पार कर गई है। साल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, उस समय खुदरा महंगाई दर 8.33 फीसदी थी।

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3. रोजगार देने के मामले में पीछे
रोजगार देने के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल के समय से ही कांग्रेस के निशाने पर रही है। बीते आठ साल के दौरान देश में बेरोजगारी दर में इजाफा देखने को मिला है। साल 2014 में बेरोजगारी दर की बात करें तो यह 5.60 फीसदी थी, जबकि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के ताजा आंकड़ों को देखें तो अप्रैल 2022 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.83 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पिछले महीने मार्च में यह 7.60 फीसदी रही थी।

4. डॉलर के मुकाबले रुपया हुआ कमजोर
महंगाई के पीछे डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आ रही गिरावट का बड़ा योगदान है। मंगलवार 22 मई को रुपया डॉलर के मुकाबले टूटकर 77.59 के निचले स्तर तक पहुंच गया। बीते दिनों रुपये ने डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निम्न स्तर को छुआ था और 77.70 तक टूट गया था। वहीं बात करें मोदी के सत्ता संभालने से पहले की, तो 24 मई 2014 को डॉलर के मुकाबले रुपया 58.39 के स्तर पर था।

5. विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी
मई 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 312 अरब डॉलर के करीब था, जो कि लगातार बढ़ते हुए 600 अरब डॉलर के पार निकल गया। हालांकि बीते कुछ सप्ताह में इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और यह 13 मई को समाप्त हुए सप्ताह में लगभग 593 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। बीते आठ साल में यह पहली बार 600 अरब डॉलर के नीचे आया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पहले छह वर्ष के कार्यकाल में विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 155 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

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6. सेंसेक्स में आया जबरदस्त उछाल
बीते आठ साल में भारतीय शेयर बाजार ने भी नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। मोदी के सत्ता संभालने से पहले बीएसई का सेंसेक्स 24-25 हजार के दायरे में नजर आता था, जो मोदी राज में 60 हजार का आंकड़ा पार करने में कामयाब हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स सूचकांक 19 अक्तूबर, 2021 को 62,245.43 के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि, मंगलवार को 54,053 के स्तर पर बंद हुआ। आंकड़ों को देखें तो मोदी कार्यकाल में बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स 22 मई 2022 को लगभग 118 प्रतिशत तक बढ़कर 54,053 के स्तर पर पहुंच गया, जो 26 मई 2014 को 24,716 के स्तर पर था।

7. पेट्रोल-डीजल की कीमतें बड़ा मुद्दा
मई 2014 में देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71.41 रुपये प्रति लीटर थी, जो कि 24 मई को 96.72 रुपये प्रति लीटर पहुंच चुकी है, जबकि सरकार ने हाल ही में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती कर जनता को राहत दी है। डीजल की बात करें तो मई 2014 में 55.49 रुपये प्रति लीटर की दर से बिकता था, जो अब 89.62 रुपये प्रति लीटर हो चुका है।

8. प्रति व्यक्ति आय करीब दोगुना हुई
प्रति व्यक्ति आय के स्तर पर देखें तो बीते आठ साल में यह तेजी से बढ़ी है। मोदी सरकार जब सत्ता में आई उस वक्त प्रति व्यक्ति सालाना आय 79 हजार रुपये थी, जो अब 1.50 लाख रुपये हो चुकी है।


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