गुजरात में छात्र की हत्या के बाद सरकार की सख्ती, अहमदाबाद के स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लिया, जानिए मामला…

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गुजरात सरकार ने अहमदाबाद के खोखरा इलाके में स्थित एक निजी स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है। यह फैसला उस घटना के करीब चार महीने बाद लिया गया है, जिसमें कक्षा 10 के एक छात्र की कथित तौर पर दूसरे छात्र द्वारा चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद स्कूल के बाहर अभिभावकों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था। माता-पिता का आरोप था कि स्कूल प्रशासन ने पक्षपात किया और घायल छात्र को कई घंटों तक समय पर मदद नहीं दी गई, जिससे उसकी जान चली गई।

 

मामले में राज्य के शिक्षा विभाग ने सोमवार को जारी एक अधिसूचना में बताया कि सेवन्थ डे एडवेंटिस्ट स्कूल के खिलाफ कई गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। जांच में सामने आया कि स्कूल ने शिक्षा से जुड़े कई कानूनों का बार-बार उल्लंघन किया, जिनमें शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून, शिक्षा बोर्डों के नियम और राज्य के अन्य नियम शामिल हैं।

 

अब समझिए जांच में क्या सामने आया
बता दें कि छात्र की मौत के बाद शिक्षा विभाग ने अहमदाबाद जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल की विस्तृत जांच के आदेश दिए थे। जांच में स्कूल के प्रबंधन, इमारत, बोर्ड से मान्यता और संचालन से जुड़े कई गड़बड़ियां पाई गईं। यह स्कूल कक्षा एक से 12 तक आईसीएसई बोर्ड से जुड़ा हुआ है और कक्षा 11-12 का विज्ञान वर्ग गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संचालित करता है।

जांच में पाया गया कि स्कूल ने विज्ञान स्ट्रीम की अनुमति लेते समय यह छुपाया कि उसी परिसर में आईसीएसई बोर्ड का स्कूल भी चल रहा है, जो नियमों के खिलाफ है। वहीं बिना अनुमति के नई कक्षाएं और डिवीजन शुरू कर दिए गए। स्कूल को कौन-सा ट्रस्ट चला रहा है, इसे लेकर साफ जानकारी नहीं थी। नियमों के अनुसार स्कूल केवल एक गैर-लाभकारी संस्था द्वारा चलाया जाना चाहिए। स्कूल परिसर और प्रशासन में किए गए बदलावों की अनुमति नहीं ली गई और जरूरी दस्तावेज भी जमा नहीं किए गए। प्राथमिक विभाग के लिए अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़ा वैध प्रमाण पत्र भी पेश नहीं किया गया।

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दो शिफ्ट, अवैध इमारतें और कम स्टाफ
इसके साथ ही निरीक्षण में यह भी सामने आया कि स्कूल बिना अनुमति के दो शिफ्ट में चल रहा था। न तो पर्याप्त स्टाफ था और न ही अलग-अलग रिकॉर्ड रखे गए थे, जो नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, स्कूल परिसर में व्यावसायिक गतिविधियां भी चल रही थीं, जैसे किताबों की बिक्री। शिक्षा विभाग के अनुसार, यह मुनाफाखोरी के दायरे में आता है, जबकि कानून के तहत स्कूल ऐसा नहीं कर सकते। स्कूल द्वारा दिए गए ऑडिट खातों में किताबों की बिक्री से आमदनी दिखाई गई, जिससे नियम तोड़ने के सबूत मिले।

 

जमीन और इमारत से जुड़े उल्लंघन
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया कि स्कूल जिस जमीन पर बना है, वह अहमदाबाद नगर निगम ने शिक्षा के उद्देश्य से एक संस्था को लीज पर दी थी, लेकिन स्कूल किसी दूसरी ट्रस्ट द्वारा चलाया जा रहा था। यह लीज की शर्तों का उल्लंघन है। इसके अलावा, बिल्डिंग प्लान में सिर्फ एक ब्लॉक की अनुमति थी, जबकि मौके पर कई ब्लॉक चल रहे थे। इन अतिरिक्त इमारतों के लिए कोई वैध अनुमति नहीं थी। जांच में यह भी पाया गया कि स्कूल ने हलफनामा दिया था कि परिसर में कोई और शिक्षण संस्था नहीं है, लेकिन निरीक्षण में वहां एक कॉलेज भी चलता पाया गया, जिसकी अनुमति गुजरात बोर्ड से नहीं ली गई थी।

सरकार ने क्यों लिया स्कूल का नियंत्रण?
गौरतलब है कि मामले में शिक्षा विभाग ने निष्कर्ष निकाला कि स्कूल ने बॉम्बे प्राइमरी एजुकेशन एक्ट, 1949, RTE एक्ट, 2009 और राज्य के नियमों का उल्लंघन किया है। चूंकि स्कूल में अलग-अलग कक्षाओं में 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, इसलिए छात्रों के हित में सरकार ने स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का फैसला किया है।

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ऐसे में सरकार ने साफ किया है कि इस अवधि में कोई नया दाखिला नहीं होगा। आईएसएसई बोर्ड और गुजरात बोर्ड से जुड़े सभी सेक्शन अब सरकार के नियंत्रण में रहेंगे। इतना ही नहीं मामले में अहमदाबाद शहर के जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल का प्रशासक नियुक्त किया गया है। स्कूल के संचालन से जुड़े विस्तृत निर्देश बाद में जारी किए जाएंगे।


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