भारत आज गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस दौरान कर्तव्य पथ पर परेड का आयोजन किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने तिरंगा फहराया और फिर राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित वहां मौजूद सभी गणमान्य लोगों ने झंडे को सलामी दी। इस दौरान 21 तोपों की सलामी भी दी गई।
राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दिए जाने के बाद कर्तव्य पथ पर परेड की शुरुआत हुई। भारतीय वायुसेना की 129 हेलीकॉप्टर यूनिट के एमआई-17 हेलिकॉप्टरों ने कर्तव्य पथ पर उपस्थित अतिथियों और दर्शकों पर पुष्प वर्षा की। परेड में इंडोनेशिया का 352 सदस्यीय मार्चिंग और बैंड दस्ता भी भाग लिया। औपचारिक परेड की शुरुआत 300 सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाले वाद्ययंत्रों पर ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन बजाकर की गई।
दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार परेड कमांडर थे, जबकि परेड सेकेंड-इन-कमान, दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ (सीओएस) मेजर जनरल सुमित मेहता थे। परमवीर चक्र और अशोक चक्र सहित सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के विजेता भी परेड का हिस्सा थे। इनमें परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) योगेन्द्र सिंह यादव (सेवानिवृत्त) और सूबेदार मेजर संजय कुमार (सेवानिवृत्त) और अशोक चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल जस राम सिंह (सेवानिवृत्त) शामिल थे।

परेड में भारतीय नौसेना की झांकी में पिछले दिनों राष्ट्र को समर्पित किए गए तीन अग्रणी युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर को प्रदर्शित किया गया। एक मिश्रित मार्चिंग दस्ते और नौसेना के एक बैंड ने कर्तव्य पथ पर परेड में भाग लिया। इस दल में शामिल सदस्यों की औसत आयु 25 वर्ष थी।

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने रविवार को कर्तव्य पथ पर आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य पर मनाए जा रहे जनजाति गौरव वर्ष की उत्पत्ति की झलकियां पेश कीं। 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर आयोजित मुख्य समारोह में मंत्रालय की गणतंत्र दिवस झांकी ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ स्वतंत्रता के बाद से राष्ट्र-निर्माण में आदिवासी समुदायों के योगदान को प्रदर्शित किया।
झांकी में आदिवासी लोकाचार को प्रदर्शित किया गया, जिसे एक प्राचीन साल के पेड़ के माध्यम से चित्रित किया गया था। इस लोकाचार की गहरी जड़ें हरे-भरे जंगलों वाली भूमि में मजबूती से जमी हुई हैं। इसके केंद्र में बिरसा मुंडा थे। इस झांकी में आदिवासी ज्ञान को भी समाहित किया गया था, जो प्रकृति और मानव विकास के बीच एक सहजीवी संबंध में विश्वास करती है। झांकी के केंद्र में स्वतंत्रता संग्राम में बिरसा मुंडा के बलिदान को दर्शाया गया था।

पशुपालन विभाग की झांकी ने दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक राष्ट्र के रूप में भारत की स्थिति को प्रदर्शित किया। झांकी के सामने के हिस्से में श्वेत क्रांति 2.0 का उल्लेख किया गया था, जिसमें एक बर्तन से दूध बहता दिख रहा था। इसके मध्य भाग में बछड़े के साथ पंढरपुरी भैंस को दिखाया गया था, जो भारत की 70 से अधिक स्वदेशी नस्लों में से एक है।
झांकी में एक महिला किसान को भैंस की देखभाल करते हुए दिखाया गया। इस दौरान एक पशु चिकित्सक टीके की एक खुराक तैयार कर रहा था, जो विभाग के प्रमुख सार्वभौमिक खुरपका और मुंहपका रोग टीकाकरण कार्यक्रम को रेखांकित करने के लिए था। दो महिलाओं को पारंपरिक ‘बिलोना’ विधि से घी निकालते दिखाया गया और साथ ही घी की एक बोतल दिखाई गई।
झांकी के पिछले हिस्से में कामधेनु या सुरभि की एक मूर्ति प्रदर्शित की गई। कामधेनु को एक पवित्र गाय माना जाता है जो इच्छाओं को पूरा कर सकती है और समृद्धि का भी प्रतिनिधित्व करती है। साइकिल और बायो-सीएनजी मोटरसाइकिल पर झांकी के साथ आने वाले सवारों ने भारत के हर कोने से दूध को सहकारी संग्रह केंद्रों या उपभोक्ताओं तक पहुंचाने वाले पुरुषों और महिलाओं के परिश्रम को दर्शाया।

गणतंत्र दिवस परेड में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की झांकी में भारत के संविधान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के साथ इसे देश की विरासत, विकास और भविष्य के लिए मार्गदर्शन की आधारशिला के रूप में चित्रित किया गया। झांकी में न्याय, समानता और स्वतंत्रता के सार को दर्शाया गया, जिसमें दिखाया गया कि कैसे संविधान भारत को एक एकजुट, प्रगतिशील और समावेशी समाज के रूप में आकार दे रहा है।
झांकी का केंद्रबिंदु संविधान की प्रतिकृति थी, जिसकी प्रस्तावना हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रमुखता से प्रदर्शित थी। इस झांकी में संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने की झलक भी दिखी। ‘वी द पीपुल’ रूपी शिलालेख के माध्यम से देश की पहचान को परिभाषित करने और एक सूत्र में पिरोने में संविधान की भूमिका को रेखांकित किया गया।

गणतंत्र दिवस परेड में ग्रामीण विकास मंत्रालय की झांकी ने कर्तव्य पथ पर लखपति दीदी योजना का चित्रण किया। इस योजना का लक्ष्य स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के लिए एक लाख रुपये की न्यूनतम आय सुनिश्चित करना है। झांकी के सामने नोटो की गड्डी पकड़े लखपति दीदी की एक विशाल प्रतिमा लगी थी, जो उनकी वित्तीय आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। बुनाई, हस्तशिल्प और कृषि जैसी विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में शामिल महिलाओं को भी इस झांकी में दर्शाया गया। झांकी में किताबें पकड़े लड़कियों और कंप्यूटर का इस्तेमाल करती महिलाओं को भी चित्रित किया गया, जो कौशल विकास और आधुनिक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर उनकी यात्रा का प्रतीक है।

वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) की गणतंत्र दिवस की झांकी में बैंकिंग सेवाओं के विकास को दर्शाया गया। विभाग ने इसके तहत बैंकिंग सेवाओं के आधुनिकीकरण पर प्रकाश डाला, जिससे आर्थिक रूप से मजबूत और समावेशी राष्ट्र के लिए आर्थिक सशक्तीकरण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिला। झांकी में सामने की ओर घूमता हुआ सुनहरा सिक्का भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था, नवोन्मेषण और समावेशी प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। एटीएम का इस्तेमाल करती एक महिला ने बैंकिंग सेवाओं के विस्तार का संकेत दिया। यूपीआई प्रतीक की ओर जाने वाला तीर भारत के नयी प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाने का प्रतीक है। पीछे के हिस्से में, एक जटिल रूप से डिजाइन की गई पोटली है, जो धन, समृद्धि और भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। झांकी के किनारों पर लगी एलईडी स्क्रीन ने वित्तीय साक्षरता के महत्व पर जोर देने वाले दृश्य दिखाए।

मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की झांकी में चक्रवातों की सटीक भविष्यवाणी और उसके परिणामस्वरूप लोगों की जीवन की रक्षा होने, समय पर मौसम पूर्वानुमान के कारण किसानों को होने वाले लाभ को प्रमुखता से दर्शाया गया। देश के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में कर्तव्य पथ पर आईएमडी की झांकी में चक्रवात ‘दाना’ का एक विशेष रूप से चित्रण किया गया। इस चक्रवात ने पिछले साल ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में व्यापक तबाही मचाई थी, लेकिन शुरुआती चेतावनियों के कारण बहुत कम लोग हताहत हुए थे और प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को समय पर सुरक्षित बाहर निकाल दिया गया था।
झांकी में किसानों के लिए पहल पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें दिखाया गया कि कैसे मोबाइल मौसम अलर्ट ने कृषि क्षेत्र में क्रांति ला दी है। किसान अब मौसम के मिजाज की भविष्यवाणी करने, बेहतर फसल प्रबंधन और बेहतर आजीविका सुनिश्चित करने में सशक्त हैं। झांकी में चार प्रमुख समुदायों पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की पहल के प्रभाव को भी दर्शाया गया है।

दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव की झांकी ने इस केंद्र-शासित प्रदेश के समृद्ध वन्य जीवन, मछली पकड़ने की संस्कृति और विकास में इसकी प्रगति पर प्रकाश डाला। झांकी के सामने दमन की ‘वॉक-इन बर्ड एवियरी’ को दर्शाया गया, जो विविध विदेशी पक्षी प्रजातियों का घर और एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। इस झांकी के पिछले भाग में मछली पकड़ने वाली प्रणालियों में से एक को दर्शाया गया। इस अत्याधुनिक प्रणाली में सेंसर, डेटा विश्लेषण, उपग्रह संचार और ड्रोन एक्सेस नियंत्रण जैसी उन्नत तकनीकें शामिल हैं।

गुजरात की झांकी में इतिहास और आधुनिकता का अनूठा संगम पेश करते हुए वडनगर के 12वीं सदी के कीर्ति तोरण तथा वडोदरा स्थित सी-295 परिवहन विमान विनिर्माण इकाई को प्रदर्शित किया गया जो राष्ट्र की सामूहिक प्रगति का प्रतीक है। सजावटी प्रवेश द्वार के चारों ओर मिट्टी से निर्मित कच्छ की जटिल कलाकृति और जीवंत पिथोरा चित्रकला को प्रदर्शित किया गया। झांकी में सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को दिखाया गया है, जिसे पूरे भारत के किसानों द्वारा दान किए गए लोहे से बनाया गया। झांकी में पर्यटन के क्षेत्र में गुजरात की प्रगति को दर्शाया गया और द्वारका एवं शिवराजपुर बीच पर ‘अंडरवॉटर’ खेलों की झलकियां भी दिखाई गईं।