कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद अब उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण दिख रहे हैं। इसे म्युकरमाइकोसिस भी कहा जाता है। पहले शुगर वाले मरीजों में इस तरह के मामले मिलते थे। संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस होने का खतरा बढ़ रहा है।
कानपुर में कोरोना का इलाज कराकर घर लौटे मरीजों पर ब्लैक फंगस ने हमला बोल दिया है। इन रोगियों की नाक से खून आ रहा है और आंखों पर सूजन आ गई है। साथ ही सांस फूल रही है। कुछ की आंख की रोशनी प्रभावित हो गई है। ब्लैक फंगस के रोगी नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञों के यहां इलाज करा रहे हैं। विभिन्न विशेषज्ञों के यहां अभी तक 50 रोगी आए हैं…
आरोग्यधाम अस्पताल के निदेशक एवं वरिष्ठ गैस्ट्रोसर्जन डॉ. विपुल कंडवाल के अनुसार उनके अस्पताल में कोरोना संक्रमित कई मरीज ऐसे आ रहे है जो ब्लैक फंगस से भी संक्रमित हैं। ऐसे मरीजों को बचाने को लेकर कोरोना की दवाओं के साथ एंटी फंगल वैक्सीन और दवाइयां दी गईं। इसके बावजूद कई मरीजों को नहीं बचाया जा सका। कोरोना वायरस ब्लैक फंगस बैक्टीरिया के साथ गठजोड़ कर बीमारी को और घातक बना रहा है, जो काफी चुनौतीपूर्ण है।
वरिष्ठ पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. अंकित अग्रवाल के मुताबिक उन्होंने अभी तक जितने संक्रमित मरीजों का इलाज किया। उनमें से कई को ब्लैक फंगस की दुश्वारियों का भी सामना करना पड़ा। ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आने के बाद उनकी जिंदगी बचाना काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. आशुतोष माथुर का भी मानना है कि मरीजों के साथ चिकित्सकों को पहले ही जानलेवा कोरोना बीमारी से जूझना पड़ रहा था, लेकिन अब ब्लैक फंगस से स्थितियां और जटिल हो गई।