
दुष्कर्म के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे राम रहीम को रविवार को मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया है। अस्पताल में राम रहीम की कोरोना जांच की गई, जिसमें आज उसका कोविड टेस्ट निगेटिव आया है। इससे पहले उसे पेट में दर्द की शिकायत के बाद पीजीआई रोहतक में भी भर्ती किया गया था लेकिन वहां पर उसने कोविड जांच कराने से इनकार कर दिया था। इसके बाद डॉक्टरों की सलाह के बाद उसे मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया। इस बीच गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत सोमवार(7 जून) को उनसे मिलने मेदांता पहुंची। उसने अटेंडेंट कार्ड बनवा लिया है। हनीप्रीत ने यह जानकारी खुद साझा की है। अब हनीप्रीत 15 जून तक अस्पताल में रहकर राम रहीम की देखभाल करेगी। वह रोजाना राम रहीम से मिलने उसके कमरे में जा सकती है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है और न ही राम रहीम की ओर से कोई ऐसी जानकारी दी गई है।
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक बाबा राम रहीम को रविवार सुबह करीब 11:30 बजे मेदांता अस्पताल लाया गया, जहां उसकी वरिष्ठ विशेषज्ञों की निगरानी में प्राथमिक स्वास्थ्य जांच की गई। इसके बाद कोरोना जांच हुई, जिसमें वह संक्रमित पाया गया।
इससे पहले बाबा राम रहीम को पेट में दर्द की शिकायत के बाद पीजीआई रोहतक में भर्ती करवाया गया था, जहां उसकी सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी समेत अन्य जांच की गई थी। कथित तौर पर पीजीआई के डॉक्टरों ने कई और जांच कराने की सलाह दी थी, जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं थी। वहीं, उसने रोहतक पीजीआई में कोरोना जांच कराने से भी इनकार कर दिया था। इसके बाद उसे मेदांता लाया गया।
मेदांता अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती राम रहीम की हालत स्थिर है। उसे कोरोना का सामान्य उपचार दिया जा रहा है। हार्ट व पेट की कई जांच रिपोर्ट आने के बाद उसी के मुताबिक इसका इलाज किया जाएगा। कहा जा रहा है कि गुरमीत राम रहीम पिछले काफी समय से ब्लड प्रेशर व डायबिटीज की समस्या से भी ग्रस्त है। यही वजह है कि 12 मई व पिछले 3 जून को भी उसे इलाज के लिए पीजीआई रोहतक ले जाया गया था।
कथित तौर पर बाबा राम रहीम अस्पताल पहुंचते ही अपनी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत से मिलने की जिद करने लगा। इसके लिए उसने कई दलीलें भी दीं लेकिन पुलिस ने इससे साफ इनकार कर दिया। वहीं, सुरक्षा कारणों से अस्पताल के बाहर अतिरिक्त पुलिस भी तैनात कर दी गई थी। बाबा राम रहीम के मेदांता पहुंचते ही उसके कुछ समर्थक भी मेदांता के बाहर इकट्ठा हो गए थे लेकिन किसी को भी अस्पताल परिसर में दाखिल नहीं होने दिया गया।