महामारी के बीच आफत बने जानलेवा ब्लैक फंगस के इलाज में सिर्फ इंजेक्शन पर ही पांच लाख रुपये से अधिक का खर्च आ रहा है। यह इंजेक्शन अभी आयुष्मान योजना के तहत भी कवर नहीं हो रहा है।
ऐसे में मरीजों के परिजनों को इस कठिन दौर से गुजरना पड़ रहा है। विभिन्न जगहों से मांग उठ रही है कि इस इंजेक्शन को या तो आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जाए या ब्लैक फंगस के इलाज के लिए अधिकृत अस्पतालों में निशुल्क आपूर्ति की जाए।
महंत इन्दिरेश अस्पताल पटेलनगर के सांस एवं छाती रोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पालमोनोलॉजिस्ट डॉ. जगदीश रावत ने बताया कि ब्लैक फंगस में दो तरह के इंजेक्शन मरीजों को दिए जाते हैं।
दूसरा इंजेक्शन जो मरीज के वजन के हिसाब से दिया जाता
एक इंजेक्शन जो लगभग 15 दिन तक हर रोज एक डोज दी जाती है, वह ढाई सौ से 500 रुपये तक में आता है, जबकि दूसरा इंजेक्शन जो मरीज के वजन के हिसाब से दिया जाता है।
एक दिन में लगभग पांच इंजेक्शन अभी तक दिए जाते हैं। इस तरह से लगभग एक मरीज को 75 से 100 इंजेक्शन इस बीमारी में दिए जाने की गाइडलाइन है। ऐसे में इंजेक्शन पर ही लगभग पांच लाख रुपये खर्च हो जाते हैं।
वहीं, हेल्थ केयर सेंटर पंडितवाड़ी के वरिष्ठ सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ (पल्मनोलॉजिस्ट) डॉ. परवेज अहमद ने बताया कि ब्लैक फंगस में दो तरह के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जिसमें लाइपोसोमल एंफोटेरीसिन बी एंटीफंगल ड्रग्स को आसुत जल में ग्लूकोस के साथ मरीज को दिया जाता है। जो धीरे-धीरे मरीज के शरीर में चढ़ता है।
60 किलो के मरीज को एक बार में पांच एमजी का एक इंजेक्शन दिया जाता है। ऐसे मरीज को पांच से छह इंजेक्शन एक दिन में दिए जाते हैं।
जबकि दूसरा जो सामान्य इंजेक्शन है वह एक दिन में 15 से 20 तक दिया जाता है। अगर ब्लैक फंगस दिमाग या आंख में इंफेक्शन कर गया हो तो इसकी खुराक दोगुनी करनी पड़ती है।
वहीं, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोरोना के नोडल अफसर एवं वरिष्ठ पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि ब्लैक फंगस में फिलहाल दो तरह के इंजेक्शन मरीजों को दिए जा रहे हैं। एक जो सस्ता है वह एक से दो हफ्ते तक रोजाना एक डोज देनी होती है। जबकि जो महंगा वाला इंजेक्शन है वह पांच वायल तक भी देनी पड़ सकती है।