
बिहार के पासवान कुनबा में हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा देखने को मिल रहा है। दिवंगत दिग्गज नेता रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) टूट गई है। लोजपा के पांचों बागी सांसदों ने मिलकर चिराग पासवान को पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया है और उनके बागी चाचा पशुपति पारस पासवान को नया नेता चुना है। बागी चाचा पशुपति पारस को मनाने उनके घर पहुंचे चिराग पासवान को एक घंटे के इंतजार के बाद बिना मिले ही लौटना पड़ा। आज दोपहर 3 बजे लोजपा के पांचों बागी सांसद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिले और उन्हें समर्थन पत्र सौंपा, जिसमें पत्र में पार्टी ने अपना नया नेता चुनने की बात कही है।
सोमवार सुबह चिराग पासवान अपने बागी चाचा पशुपति पारस को मनाने उनके घर पहुंचे थे, लेकिन भतीजे के आने से पहले ही चाचा घर से निकल गए। चाचा-भतीजे के रिश्ते में दूरियां इतनी बढ़ गईं कि चाचा पारस के घर का दरवाजा भी उनके लिए नहीं खुला। चिराग पासवान बाहर ही अपनी गाड़ी में बैठकर करीब 20 मिनट तक इंतजार करते रहे। उसके बाद घर का दरवाजा खोला गया। घर में एक घंटे तक इंतजार करने के बाद भी चिराग पासवान को चाचा से बिना मिले ही लौटना पड़ा।
पारस को चुना संसदीय दल का नेता
लोजपा में बगावत करने वाले पांच सांसदों की ओर से लोकसभा अध्यक्ष सौंपे गए समर्थन पत्र में बताया गया है कि वे पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुनते हैं। अब से पशुपति कुमार पारस लोजपा के लोकसभा संसदीय दल के नेता होंगे। वहीं महबूब अली कैसर लोकसभा संसदीय दल के उपनेता होंगे। सूरजभान सिंह भाई और नवादा से सांसद चंदन सिंह लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक होंगे।
पार्टी में चल रही उठापटक के बीच सोमवार को पशुपति पारस ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि उन्होंने पार्टी को तोड़ा नहीं बचाया है। साथ ही कहा कि उन्हें चिराग पासवान से कोई नाराजगी नहीं है, अगर वे चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी में टूट हो गई है। इसे लेकर पशुपति पारस ने सोमवार को कहा कि हमारे भाई चले गए, हम बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं। भाई के जाने के बाद पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गई, तब सभी को उम्मीद थी कि वर्ष 2014 की तरह इस बार भी हम एनडीए के साथ बने रहें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोक जनशक्ति पार्टी बिखर रही थी,