
संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू होगा। सत्र के दौरान कोरोना की दूसरी लहर, महंगाई और चीन से जुड़े मामले में हंगामे की बारिश तय है। इसके अलावा दो अध्यादेशों पर सरकार और विपक्ष के बीच तलवारें खिंच सकती है। विभिन्न मुद्दों पर जहां विपक्ष ने सरकार पर एकजुट हमला बोलने की रणनीति बनाई है, वहीं सरकार ने विपक्ष के वार के जवाब में पलटवार की रणनीति तैयार की है।
सत्र के दौरान सरकार की योजना 14 नए बिल पेश करने और तीन अध्यादेशों पर संसद की मंजूरी हासिल करने की है। इन तीन अध्यादेशों में से दो पर पहले से ही विवाद है। सरकार आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश के जरिए सेना के लिए हथियार, गोलाबारूद, वर्दी बनाने वाले आयुध कारखानों में हड़ताल को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। इसमें हड़ताल करने वालों के लिए दो साल की सजा का भी प्रावधान है। कई मजदूर संघों के साथ संघ का अनुषांगिक संगठन भारतीय मजदूर संघ ने भी इसका तीखा विरोध किया है। अब सरकार इस सत्र में इस अध्यादेश को कानूनी जामा पहनाने की तैयारी में है।
इसके अलावा सरकार पराली जलाने की घटना पर लगाम लगाने के लिए जारी अध्यादेश को भी कानूनी जामा पहनाने की तैयारी में है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसपास के क्षेत्र में पराली जलाने केलिए अध्यादेश में भारी जुर्माने और सजा का प्रावधान है। किसान संगठन लंबे समय से इसका विरोध कर रहे हैं।
वार-पलटवार तय
विपक्ष ने सरकार पर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान फैली अव्यवस्था, टीकों की कमी, लद्दाख से जुड़े एलएसी पर जारी तनाव, पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों और राज्यों की नई जनसंख्या नीति जैसे मुद्दों पर हमला करने की रणनीति बनाई है। संसद में सरकार पर एकजुट हमला बोलने के लिए कांग्रेस विपक्षी दलों के साथ लगातार संपर्क में है। जबकि सरकार ने इन मुद्दों पर पलटवार की तैयारी की है। कोरोना मामले में सरकार ने पीएम केयर्स फंड का राज्यों द्वारा उपयोग न करने, टीका के संदर्भ में लगातार भ्रम फैलाने और राज्यों द्वारा पेट्रोल-डीजल पर भारी राजस्व वसूलने जैसे मामले को उठा कर पलटवार की तैयारी की है।
ये विधेयक होंगे पेश
ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) विधेयक, डीएनए टेक्नोलॉजी विधेयक, डेटा प्रोटेकशन विधेयक, दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण (संशोधन) विधेयक, फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक, 2020, इसेंशियल डिफेंस सर्विस बिल, बिजली (संशोधन) विधेयक, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक, कोयला असर वाले क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) संशोधन विधेयक, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स और कंपनी सेक्त्रस्ेटरीज (संशोधन) विधेयक, केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक और भारतीय वन प्रबंधन संस्थान विधेयक।
सोनिया गांधी ने मानसून सत्र से पहले संसदीय टीम का किया पुनर्गठन
मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के संसदीय टीम का पुनर्गठन किया है। इसमें पार्टी नेतृत्व के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले ‘जी-23’ नेताओं को भी जगह दी गई है। यह फैसला कामकाज को सुविधाजनक और प्रभावी संचालन के लिए लिया गया है।
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में पार्टी के नेता बने रहेंगे जबकि असम के पूर्व सीएम दिवंगत तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई सदन के उपनेता के रूप में बने रहेंगे। के. सुरेश मुख्य सचेतक और रवनीत सिंह बिट्टू और मानिककाम टैगोर लोकसभा में पार्टी के सचेतक होंगे। असंतुष्ट गुट ‘जी-23’ के मनीष तिवारी और शशि थरूर को लोकसभा में सात सदस्यीय समूह का हिस्सा बनाया गया है।
वहीं, राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे सदन के नेता होंगे जबकि एक अन्य असंतुष्ट नेता आनंद शर्मा को उपनेता बनाया गया है। जयराम रमेश को उच्च सदन में मुख्य सचेतक बनाया गया है जबकि अंबिका सोनी, पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और केसी वेणुगोपाल सचेतक बनाए गए हैं। संसद का मानसून सत्र सोमवार कसे शुरू हो रहा है।
सोनिया गांधी की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि ये संसदीय समूह संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन मिलेंगे और जहां संसद के मुद्दों का संबंध है, अंतर सत्र अवधि के दौरान भी बैठक कर सकते हैं। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर इन समूहों की संयुक्त बैठकें भी की जा सकती हैं और मल्लिकार्जुन खरगे संयुक्त बैठकों के संयोजक होंगे। सत्र में कांग्रेस बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों के साथ-साथ कोरोना महामारी के दौरान सरकार की विफलता को लेकर मोदी सरकार को घेरेगी।