
कृषि कानूनों के विरोध में बीते सात महीने से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के कई बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इसका अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। जनवरी में हुई किसानों और सरकार की बातचीत के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई बैठक नहीं हुई है।
किसान संयुक्त मोर्चे की अगुवाई में तरह-तरह से किसानों ने अपना विरोध जताया है। कोरोना की दूसरी लहर आई अब तीसरी लहर का भी अंदेशा है लेकिन किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। अब किसान अपना आंदोलन एक बार फिर तेज करने की बात कर रहे हैं।
ऐसे में जब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से गुरुवार को इस बारे में पूछा गया तो वह बोले, यहां चार लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग हैं। यह ट्रैक्टर इसी देश के हैं और कोई अफगानिस्तान से नहीं आए हैं। पिछले सात महीने से हमारा आंदोलन चल रहा है, सरकार को शर्म नहीं आती? कोरोना की तीसरी वेव आती है तो भी हम यहीं रहेंगे। आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा।
केंद्र सरकार के बाद राज्य सरकार का भी करेंगे इलाज : टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रवक्ता राकेश टिकैत बुधवार को ढांसा बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने यहां कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर धरना दे रहे किसानों को संबोधित किया। कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में देश के किसान सात महीने से बैठे हैं। सरकार के बार-बार आंदोलन को बदनाम करने के मंसूबे फेल हो गए। किसी भी हाल में किसान अपना अधिकार लेने के बाद ही घर वापसी करेंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान केंद्र को तीनों कानूनों को निरस्त करने के लिए बाध्य करेंगे। ये कानून किसानों की भलाई के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के खजाने भरने के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में भाजपा की राजनीति बंद हो चुकी है, इसलिए हरियाणा सरकार किसान नेताओं पर आंदोलन की आड़ में राजनीति करने का आरोप लगा रही है।
केंद्र के बाद किसानों की विरोधी हरियाणा सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने किसानों को संकेत दिया कि आंदोलन लंबा चलेगा। केंद्र सरकार आंदोलन को लंबा बनाने की तैयारी में है ताकि किसान परेशान होकर घर वापसी कर जाए। आंदोलन कितना ही लंबा हो जाएं, लेकिन किसान भी पूरी तैयारी के साथ हैं। चार साल तक आंदोलन की रूपरेखा किसानों ने तैयार कर रखी है।
टिकैत कहा कि किसानों ने भाजपा सरकार का इलाज कर रखा है और सरकार इस आंदोलन का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। सरकार बरगला रही है कि किसान आंदोलन में फंडिंग हो रही है जबकि किसान आंदोलन आम लोगों के सहयोग से चल रहा है। केंद्र सरकार कान खोल कर सुन ले किसानों के लाखों ट्रैक्टर खड़े हैं।
सरकार का इलाज किसी भी महीने की 26 तारीख को किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने किसान आंदोलन की जिम्मेदारी ले रखी है। दिल्ली में केंद्र से निपटने के बाद हरियाणा सरकार का इलाज किया जाएगा। किसानों को अपना पैसा सुरक्षित रखना है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि अपना पैसा अपने पास ही रखो।
इससे पहले राकेश टिकैत का ढांसा बॉर्डर पहुंचने पर गुलिया खाप के प्रधान विनोद बादली ने स्वागत किया। किसान यूनियन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र डागर, जयप्रकाश बेनीवाल, हिम्मल पहलवान, सरजीत गुलिया, बेदन ठेकेदार, चिंटू छारा और सतबीर फौजी सहित काफी संख्या में किसान मौजूद रहे।