उत्तराखंड : 2005 (16 साल) पहले सतोपंथ आरोहण के दौरान जवान हुआ था लापता, अब पार्थिव देह को  सैन्य सम्मान के साथ भेजा पैतृक गांव ।

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16 वर्ष पूर्व सतोपंथ आरोहण के दौरान लापता हुए सेना के जवान के पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ उसके पैतृक गांव भेज दिया गया है। इससे पूर्व आज सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में पार्थिव शरीर को सलामी के साथ गार्ड ऑफ ऑर्नर दिया गया। प्रभारी जिलाधिकारी गौरव कुमार सहित सैन्य अधिकारियों ने जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए।
अवशेष एकत्रित कर गंगोत्री पहुंचाए और पुलिस को सौंप दिए
हाल ही में, भारतीय सेना का एक दल स्वर्णिम विजय वर्ष के उपलक्ष्य में गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ (7075 मीटर) के आरोहण के लिए गया था। अभियान के दौरान बीते 22 सितंबर को एक पर्वतारोही के शव के अवशेष दल को मिले थे। जिसे सेना के जवानों ने एकत्रित कर गंगोत्री पहुंचाया और पुलिस को सौंप दिया था।

आरोहण के दौरान एवलांच में दबने से लापता हुआ था जवान
सेना ने बरामद पार्थिव शरीर के वर्ष 2005 में सतोपंथ आरोहण के दौरान लापता हुए नायक अनीश त्यागी पुत्र राजकुमार निवासी मोदीनगर गाजियाबाद उत्तरप्रदेश होने की आशंका जताई थी। उक्त जवान सेना के आरोहण दल का सदस्य था। जो कि आरोहण के दौरान एवलांच में दबने से लापता हो गया था।

डीएनए का सैंपल भी लिया
सेना ने बरामद जवान के पार्थिव शरीर के अवशेषों और उसके सेना के कपड़ों से उसके उक्त जवान होने की आशंका जताई थी। बाद में सेना की ओर से सौंपे गए जवान के पार्थिव शरीर का पंचनामा भरकर पोस्टमॉर्टम भी कराया गया। पुलिस ने सेना की आशंका पर जवान के पार्थिव शरीर के डीएनए टेस्ट के लिए उसके डीएनए का सैंपल भी लिया है।

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सैन्य सम्मान के साथ विदा किया
सोमवार को कलक्ट्रेट परिसर में लापता जवान के शव के पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ विदा किया गया। लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षदीप गहलोत ने बताया कि वर्ष 2005 की घटना की परिस्थितियों व जिस स्थान पर शव मिला उसकी परिस्थितियों के मिलान के आधार पर उसकी पहचान की गई है। जिस स्थान पर घटना घटी थी, ठीक उसी स्थान पर उसी स्थिति में शव बरामद हुआ है। वर्ष 2005 के दल के सदस्यों से भी इसे लेकर बातचीत की गई है। परिजन भी इसे स्वीकार कर रहे हैं। हालांकि अभी डीएनए टेस्ट नहीं हुआ है। पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ जवान के पैतृक गांव भेज दिया गया है।


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