
उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष की नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश का रविवार को नई दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 80 वर्षीय वरिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली आई थी और वह उत्तराखंड सदन में ठहरी हुई थीं।
रविवार को देर रात करीब 9.15 बजे उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी स्थित उनके आवास पर पहुंच गया था। इंदिरा का पार्थिव शरीर उनके आवास से सोमवार सुबह नौ बजे स्वराज आश्रम लाकर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। 10 बजे बाद यहां से अंतिम यात्रा चित्रशिलाघाट रानीबाग के लिए प्रस्थान करेगी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी हेलिकॉप्टर से हल्द्वानी के गौलापार हेलीपैड पहुंच गए, यहां से वह इंदिरा हृदयेश के आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वह दिल्ली रवाना हो गए।
करीब 47 सालों से राजनीति में सक्रिय हृदयेश हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक थीं। वह इस साल अप्रैल में कोविड-19 संक्रमित हुई थीं। कोरोना से ठीक होने के बाद उनके दिल की सर्जरी हुई थी। वह शनिवार को दिल्ली में उत्तराखंड पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी शामिल हुई थीं।
7 अप्रैल 1941 को जन्मी हृदयेश 1974 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए पहली बार चुनी गईं। इसके बाद 1986, 1992 और 1998 में भी अविभाजित उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनी गईं। 2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता बनीं। 2002 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हल्द्वानी से जीतीं।
तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की सरकार में उनका इतना बोलबाला था कि उन्हें सुपर मुख्यमंत्री कहा जाता था। 2007 से 2012 के दौरान वह चुनाव हार गईं। 2012 में फिर उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता और विजय बहुगुणा व हरीश रावत सरकार में मंत्री बनीं। 2017 के चुनाव में वह हल्द्वानी से जीती और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाई गईं।