चमोली जिले के पिण्डरघाटी में स्थित नंदादेवी राजजात मार्ग के आखिरी गांव वाण में विश्व प्रसिद्ध प्राचीन लाटू देवता के मंदिर के कपाट आज बैशाख पूर्णिमा के अवसर पर छ: महीनों के लिए कुनियाल ब्रहमणों के विधिविधान से पूजा अर्चना करने के साथ ही खोल दिए गए।इस अवसर पर राज्य सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी उपस्थित रहे।
बताते चलें कि लाटू देवता मूल रूपं से कन्नौज के वैष्णव थे।प्राचीन काल में वे अपनी ईष्ट देवी भगवती की खोज में आकाश की ओर चले तो वाण गांव में ही रूक गए।तब से आज तक नंदादेवी की प्रत्येक लोकजात और राजजात की अगवानी लाटू देवता ही करते है।नंदा भगवती ने लाटू देवता को अपना धर्म भाई मान लिया।मान्यता है कि यहां हर किसी की मनोकामना पूरी होती है।
आज कोरोना काल की गाइडलाइंस के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ सीमित रही।पूर्व में यहां कपाट खुलने के अवसर पर हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड पडती रही है।आज स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की मौजूदगी में कुनियाल ब्रहमणों ने दुर्गा एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर लाटू धाम के कपाट खोलकर श्रद्धालुओं के लिए पूजा अर्चना कराई।