पिछले साल से ही प्रधान लोग जिस तरह रोज रोज सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य किए जा रहे हैं और सरकार के द्वारा उनकी कोई सुध खबर नहीं ली जा रही है तो अब राज्य भर में सरकार के खिलाफ प्रधान संगठनों का आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है। प्रधानों का धरना आज दसवें दिन भी जारी रहा।
प्रधान संगठन पंचायतों को मजबूत बनाने की दिशा में 12 सूत्रीय मांगों पर सरकार के आगे ऐड़ी रगड़ रहा है। परंतु उनकी एक नहीं सुनी जा रही है। प्रधान संगठनों का कहना है कि सरकार ने ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के बजाए कमजोर करने का काम किया है। कहना है कि ग्राम पंचायत के तमाम विकास की निधियों में कटौती कर दूसरे संस्थानों को दिए जाने के सरकार ने फरमान जारी किए हैं जो कि बिलकुल भी ठीक नहीं है।ग्राम स्वराज की अवधारणा को इस सरकार ने मिट्टी में मिला दिया है।
प्रधानों का कहना है कि एक तरफ प्रधानों का मानदेय मात्र 1500 रुपए है और सीएससी सेंटरों को 2500 रुपए बेबजह दिए जाने का फरमान जारी किया है। जबकि प्रधान ही सब कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह मनरेगा में कार्य दिवस और मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने की मांग भी की गई थी।वह भी डंडे बस्ते में डाल कर रखा है।
उनका कहना है कि पिछले साल से आज तक कोविड काल में प्रधानों ने अपनी व अपने परिवार की जान की परवाह न करते हुए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फ्रंटलाइन में आगे बढ़ कर काम किया है। परंतु सरकार ने उनको इसका पुरुस्कार उनके और पंचायतों के अधिकारों का काट कर चुकाया है।
बताया कि सरकार ने पंचायतों में कभी मनरेगा और दूसरे विकास कार्यों में मैटेरियल के लिए ठेकेदारों को थोपा।कभी वित्त की धनराशि को जल संस्थान को लेकर जल जीवन मिशन में खर्च करने का आदेश दनदनाया तो कभी सीएससी सेंटरों को मुफ्त में मानदेय देने का बेतुका निर्देश दिए। जिससे ग्राम पंचायतें कमजोर बनती जा रही है।
इन सबके खिलाफ पिछले साल से ही प्रधान संगठन सड़कों से लेकर राजधानी मुख्यालय तक आंदोलन कर चुके हैं। परंतु सरकार का सारा ध्यान तो मुख्यमंत्रियों की अदला-बदली में ही लगा हुआ है।प्रधानों का कहना था कि अच्छा होता सरकार ब्लाकों में ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्तियां करने की दिशा में कुछ काम करती। विकास खंड मुख्यालयों में कर्मचारियों के कोटे से पंचायतों के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।समय से ग्राम पंचायतों तमाम विकास परक योजनाएं आनलाइन नहीं हो पा रहे हैं। क्योंकि कंप्यूटर आपरेटरों की भारी कमी है।एक एक ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम विकास अधिकारियों के पास बीस बीस ग्राम पंचायतों में काम करना पड़ रहा है तो गांवों में विकास की गति भी धीमी हो रही है। कहा कि अगर अब भी सरकार अपने अड़ियल रुख पर कायम रही तो आने वाले विधानसभा चुनावों में सरकार का पूरा बहिष्कार किया जायेगा।