
गंगा के जलस्तर में वृद्धि से तेज हुई कटान में शुक्रवार को फाफामऊ घाट पर रेत में दफनाए गए शवों के निकलने का अब तक का रिकॉर्ड टूट गया। आज 60 शव रेत से बाहर निकाले गए। पांच दर्जन शवों को जलाने के लिए चिता लगाने की जगह बनाने में भी नगर निगम को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पानी से चौतरफा घिरे चापू पर नावों से लकड़ी ले जाकर चिताएं लगाई गईं। रात नौ बजे तक एक साथ सभी शवों का अंतिम संस्कार कराया गया। इसी के साथ अब तक इस घाट पर 300 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है। गंगा के में जलस्तर वृद्धि होने की वजह से कटान का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। फाफामऊ घाट पर शुक्रवार की सुबह छह बजे से ही कटान से शवों के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। घाट पर निगरानी के लिए लगाए गए मजदूरों ने दोपहर एक बजे तक ही 40 शवों को कटान से बाहर निकाल लिया था। जल स्तर बढ़ने और शवों की संख्या बढ़ने की वजह से स्थिति संभालने के लिए नगर निगम प्रशासन को 30 से अधिक मजदूर लगाने पड़े। शाम छह बजे तक कटान की वजह से कुल 60 शव रेत से निकाले गए। घाट पर दिन भर शवों को बहने से रोकने के लिए मशक्कत की जाती रही। देर रात तक शवों की चिताएं लगाई जाती रहीं। जोनल अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने श्राद्ध के साथ इन शवों को मुखाग्नि दी। रात को घाट पर एक लाइन से चिताएं जलती रहीं। कटान को देखते हुए अंतिम संस्कार के बाद रात को फाफामऊ घाट पर निगरानी बढ़ा दी गई। एक भी शव गंगा में न बहने पाएं, इसके लिए छह लोगों को रात भर घाट पर निगरानी करने के लिए सचेत किया गया है। निगम के अफसरों का कहना है कि घाट पर कटान का दायरा जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे और भी शव बाहर आ सकते हैं।