नैनीताल हाईकोर्ट: सिंचाई नहरों से अतिक्रमण जमीनी तौर पर क्यों नहीं हटाए? एसडीएम से 1 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

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नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में सिंचाई नहरों पर हुए अतिक्रमण के मामले में एसडीएम को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एसडीएम से यह भी पूछा कि उन्होंने अतिक्रमण जमीनी तौर पर क्यों नहीं हटाए हैं। पूर्व में कोर्ट ने आदेश पारित कर केनाल एंड ड्रेनेज एक्ट के नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश सिंचाई विभाग को दिए थे।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। भगवानपुर हल्द्वानी निवासी कृषक रघुवीर सिंह ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा था कि सिंचाई नहरों पर अतिक्रमण होने व उसे हटाने से पहले एसडीएम की पब्लिक प्रेमिसिस (पीपी) एक्ट में बेदखली की सुनवाई में लंबा समय लगता है। बताया था कि गुलों पर अतिक्रमण होने व गुल बंद होने के मामले निस्तारण के लिए एसडीएम की व्यस्तता के कारण लटके हुए हैं।

 

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि न्यायालय के आदेश पर एक संयुक्त निरीक्षण हुआ था, जिसमें कहा गया था कि भगवानपुर में गुल (कैनाल) को कहीं बंद कर दिया गया है, कहीं उसका रास्ता बदल दिया गया है। साथ ही कई जगह अतिक्रमण कर लिया गया है।

पूर्व में कोर्ट ने कहा था कि नॉर्दन इंडिया कैनाल एंड ड्रेनेज एक्ट के अंतर्गत सिंचाई कर्मचारियों को सीधे अतिक्रमण हटाने की शक्ति मिली है, उसके तहत भगवानपुर क्षेत्र में कार्यवाही की जानी चाहिए। इससे वे गुल को दोबारा स्थापित कर पानी शुरू करा सकते हैं। इस शक्ति से कर्मचारी अतिक्रमण को भी तत्काल तोड़ या हटा सकते हैं। पूर्व में कोर्ट ने पीपी एक्ट में कार्यवाही कर मामलों को लटकाने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा था कि संबंधित क्षेत्र की गुलों से अतिक्रमण को हटाया जाए।

एसडीएम हल्द्वानी ने रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि वहां पर अतिक्रमण हुआ है और इस संबंध में दो नवंबर 2023 को बेदखली आदेश पारित कर दिए है। जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आदेश के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया है। इसके बाद कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर एसडीएम को रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश देते हुए पूछा है कि उन्होंने अतिक्रमण जमीनी तौर पर क्यों नहीं हटाए हैं।

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