उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्यों के आगामी चुनाव के लिए चुनावी गणित अब बदल गया है। सीटों की संख्या 20 से बढ़ाकर 25 कर दी गई थी लेकिन अब इनमें से सात सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई हैं। ऐसे में पुरुष उम्मीदवारों के लिए बीते चुनाव के मुकाबले दो सीटें घट गई हैं। महिलाओं के लिए नए अवसर बन गए हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रधान सचिव श्रीमंतो सेन की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल ही में योगमाया एमजी बनाम भारत सरकार व अन्य के मामले में दिए गए निर्देश के अनुसार देश के सभी राज्य बार काउन्सिलों के लिए अपनी कुल सदस्य संख्या का तीस फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाना आवश्यक है। इसमें बीस फीसदी महिला सीटें चुनाव कर आईं प्रतिनिधियों से भरी जाएंगी जबकि निर्वाचित सदस्य दस फीसदी महिला सीटें मनोनीत करेंगे। पत्र में उत्तराखंड जैसे 25 सदस्यों की संख्या वाले राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि ऐसे राज्यों में पांच महिला आरक्षित सीटों के साथ कुल 23 सदस्यों का चयन सीधे चुनाव से होगा जबकि चयनित सदस्य दो महिला सदस्यों को मनोनीत करेंगे।
बता दें कि हाल में सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी बार काउंसिल के चुनाव 31 मार्च, 2026 से पूर्व कराए जाने के निर्देश दिए थे। चुनाव के सफल संचालन के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व एक्टिंग चीफ जस्टिस तथा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा की अध्यक्षता में हाईपावर समिति गठित की गई थी। समिति में उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यूसी ध्यानी और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुलदीप सिंह सदस्य नामित किए गए थे। उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरसी खुल्बे को पर्यवेक्षक तथा इलाहबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरए सिंह को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया था।
चुनाव की तिथि में बदलाव की है संभावना
पूर्व में अनारक्षित स्थिति में बार काउंसिल के 25 सदस्यों के चुनावों की प्रक्रिया 19 दिसंबर 2025 से प्रारंभ हो चुकी है, अब इसमें बदलाव किया जाना होगा। अब तक 15 जनवरी 2026, अभ्यर्थियों की अंतिम सूची का प्रकाशन, चार फरवरी 2026 को मतदान, 05-06 फरवरी 2026, मतपत्रों की प्राप्ति व 9 फरवरी 2026 को नैनीताल क्लब, नैनीताल में सुबह 10 बजे से मतगणना का कार्यक्रम था लेकिन हाईकोर्ट में नौ फरवरी तक शीतावकाश होने के कारण अधिवक्ता 4 फरवरी के चुनाव की तिथि में बदलाव की मांग कर रहे हैं। कोर्ट में अवकाश के दौरान अधिकतर अधिवक्ता बाहर चले जाते हैं और कोर्ट खुलने पर ही लौटते हैं जिससे वे मतदान से वंचित रह जाएंगे और चुनाव भी प्रभावित होगा। अधिवक्ता चुनाव में मतदाताओं के नाम जोड़ने की तिथि भी विस्तारित करने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के लिए गठित हाई पावर समिति के समक्ष अपना पक्ष रखे जाने का निर्देश दिया था। 28 दिसंबर को इस संबंध में मीटिंग रखी गई है। इस बीच महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के निर्देश के बाद प्रक्रिया में आवश्यक परिवर्तन भी किया जाना होगा। इन दोनों कारणों से संभावना है कि चुनावों की तिथि पीछे जा सकती है।









