रेल से चारधाम के सफर के लिए करना होगा 2028 तक इंतजार, 2 साल बढ़ी समय सीमा, रेलवे जीएम ने किया निरीक्षण

Spread the love

ट्रेन से चार धाम का सफर तय करने के लिए वर्ष 2028 तक का इंतजार करना होगा। दिसंबर 2026 तक की डेडलाइन को आरवीएनएल ने दिसंबर 2028 तक के लिए आगे बढ़ा दिया है। पहाड़ों के बीच सुरंग बनाकर रेललाइन बिछाने के कार्य में कई बाधाएं आ रही हैं। प्राकृतिक आपदाओं के कारण कार्य प्रभावित हो रहा है।

 

सोमवार को मुरादाबाद मंडल के दौरे पर आए उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक वर्मा ने अमर उजाला से खास बातचीत में बताया कि कार्य लगातार चल रहा है। दिसंबर 2028 तक उम्मीद है कि लोग ट्रेन में बैठकर गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ तक पहुंच पाएंगे। वर्तमान में ट्रेन सिर्फ योगनगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक जाती है।

 

कुल 126 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन का बड़ा हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। बड़ी परेशानी सुरंगों में रेल लाइन बिछाने में आ रही है। तीन प्रमुख सुरंगों में अभी करीब 10 किलोमीटर खोदाई शेष है। इनमें मुख्य और निकास सुरंगें शामिल हैं, यानी कुल छह ब्रेक-थ्रू होने बाकी हैं। सबसे लंबी सुरंग 14.08 किमी (देवप्रयाग–जनासू के बीच) है।

सबसे छोटी सुरंग 200 मीटर (सैवड़–कर्णप्रयाग के बीच) है। 11 सुरंगों की लंबाई छह किमी से अधिक है। जीएम ने बताया कि उत्तराखंड में डलवाला से नीरागड, कोडियाला से तीन धारा के पास शिवमूर्ति तक और नरकोटा से घोलतीर तक की सुरंगें इस परियोजना का अहम हिस्सा हैं।

बाकी कई सुरंगों में आरपार (ब्रेक-थ्रू) हो चुका है, जिससे निर्माण की रफ्तार बढ़ी है। परियोजना के तहत कुल 13 रेलवे स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इनमें मुरादाबाद मंडल की बात करें तो वीरभद्र और योगनगरी ऋषिकेश स्टेशन बनकर तैयार हो चुके हैं और यहां से ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो गया है। 

और पढ़े  देहरादून- नहीं होगी संसाधनों की कमी...पटवारी, लेखपालों को लैपटॉप के साथ सीयूजी नंबर, डाटा पैक भी मिलेगा

परियोजना में शामिल हैं यह स्टेशन
वीरभद्र, योगनगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, व्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर (चौरास), धारी देवी, रुद्रप्रयाग (सुमेरपुर), घोलतीर, गौचर, कर्णप्रयाग (सैवड़)

प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा स्टेशन बनेगा कर्णप्रयाग
इस रेललाइन प्रोजेक्ट के पैकेज दो के तहत देवप्रयाग, जनासू, मलेथा और श्रीनगर स्टेशनों के टेंडर हो चुके हैं, अब वित्तीय प्रक्रिया बाकी है। इनकी लागत 163.45 करोड़ रुपये है। पैकेज तीन में धारी देवी, तिलनी, घोलतीर और गौचर स्टेशनों का निर्माण होगा। इनकी लागत 126.16 करोड़ रुपये है। सबसे बड़ा स्टेशन कर्णप्रयाग बनाया जाएगा। इसके लिए भी टेंडर प्रक्रिया चल रही है। यहां 26 रेल लाइनें बिछेंगी।

मुरादाबाद से हो सकेगी चीन सीमा के नजदीक तक निगरानी
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट धार्मिक यात्रा सुलभ होने के साथ सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सेना का साजो सामान सुरक्षित रूप से भारत-चीन सीमा तक पहुंच सकेगा। पहाड़ों में बनाई गई सुरंगों के भीतर रेल लाइन की निगरानी व सुरक्षा के लिए मुरादाबाद में नया कंट्रोल रूम बनकर तैयार हो गया है। डीआरएम कार्यालय परिसर के बराबर में बना यह कंट्रोल रूम रेल लाइनों से मिलने वाले हर सिग्नल की जानकारी अधिकारियों को देगा। आपदा, दुर्घटना या अन्य परिस्थिति में अलर्ट भी जारी करेगा।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट के काम की समय सीमा बढ़ाई गई है। अभी इसे पूरा होने में दो साल और लग जाएंगे। पहाड़ों के बीच रेल लाइन बिछाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। – अशोक वर्मा, जीएम, उत्तर रेलवे


Spread the love
  • Related Posts

    अयोध्या- राजनाथ सिंह- राम नगरी आकर अभिभूत हूं,रक्षा मंत्री बोले- आज अयोध्या में धर्म की ध्वजा लहरा रही है

    Spread the love

    Spread the loveआज रामलला की प्रतिष्ठा द्वादशी धूमधाम से मनाई जा रही है। दो वर्ष पूर्व आज ही के दिन ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इस अवसर…


    Spread the love

    उन्नाव दुष्कर्म कांड: मार्मिक चिट्ठी पर बोली पीड़िता – सेंगर की बेटी मेरी बहन…वह मेरा भी दर्द समझें

    Spread the love

    Spread the love   उन्नाव जिले में पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की छोटी बेटी की एक्स पर पोस्ट की गई मार्मिक चिट्ठी और बड़ी बेटी की ओर से दुष्कर्म के…


    Spread the love