सुप्रीम कोर्ट: जस्टिस एएस ओका ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर सुनाए 11 फैसले, कुछ घंटे पहले हुआ था मां का निधन

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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एएस ओका ने शुक्रवार को अपने अंतिम कार्य दिवस पर 11 फैसले सुनाए, जबकि कुछ घटों पहले ही उनकी मांग का निधन हुआ था। जस्टिस ओका अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गुरुवार को मुंबई गए थे,फिर शुक्रवार को अपने अंतिम कार्य दिवस के लिए दिल्ली लौट आए। वह कल सेवानिवृत्त होंगे।

 

जस्टिस ओका ने शुक्रवार को अपनी नियमित बेंच में बैठकर 11 फैसले सुनाए, फिर चीफ जस्टिस (सीजेआई) के साथ औपचारिक बेंच में बैठे। यह एक नई परंपरा थी। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) की ओर से 21 मई को आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस ओका ने कहा था कि वह सेवानिवृत्त होने वाले जजों के अंतिम कार्य दिवस पर काम न करने की परंपरा से सहमत नहीं हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि गार्ड ऑफ ऑनर को 1:30 बजे के बजाय देर से देना चाहिए। उन्होंने कहा, सेवानिवृत्त जज को दोपहर के भोजन के तुरंत बाद घर क्यों भेजा जाए। इसलिए इस परंपरा को भी बदलना होगा, ताकि जज को अंतिम कार्य दिवस पर शाम 4 बजे तक काम करने की संतुष्टि मिल सके। जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि उन्हें सेवानिवृत्ति शब्द से नफरत है और उन्होंने जनवरी से ज्यादा से ज्यादा मामलों को सुनने का फैसला किया था।

जस्टिस ओका का जन्म 25 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और जून 1983 में वकील के रूप में पंजीकृत हुए। उन्होंने अपने पिता श्रीनिवास डब्ल्यू ओका के चैंबर में ठाणे जिला न्यायालय में अभ्यास शुरू किया। 1985-86 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जज और पूर्व लोकायुक्त वीपी टिपनिस के चैंबर में काम किया। वह 29 अगस्त 2003 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज बने और 12 नवंबर 2005 को स्थायी जज बनाए गए।

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उन्होंने 10 मई 2019 को कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली, जहां उन्होंने तब तक सेवा दी, जब तक कि वह 31 अगस्त 2021 को भारत के सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत नहीं हुए।


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