मोरबी पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी भी आपको लगता है कि यह पुल अचानक गिर गया, तो आप गलत हैं। इस दर्दनाक हादसे की स्क्रिप्ट तो दो साल पहले ही लिख दी गई थी, लेकिन लापरवाह अधिकारियों की नींद ही नहीं टूटी और नतीजा देश के सामने है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुल के रखरखाव और मरम्मत का काम देखने वाली ओरेवा कंपनी का जनवरी, 2020 का लेटर सामने आया है। यह लेटर मोरबी जिला कलेक्टर को लिखा गया था। इसमें कहा गया है कि हम पुल की अस्थायी मरम्मत करके इसके खोल देंगे। इस पत्र के बाद भी अधिकारी शांत बैठे रहे और इतना बड़ा हादसा हो गया।
कंपनी और प्रशासन के बीच चल रही थी लड़ाई
जनवरी, 2020 के इस पत्र में ऐसी चीजें सामने आई हैं, जिनसे पता चलता है कि पुल के ठेके को लेकर कंपनी और जिला प्रशासन के बीच एक लड़ाई चल रही थी। पत्र से पता चलता है कि ओरेवा ग्रुप पुल के रखरखाव के लिए एक स्थायी अनुबंध चाहता था। समूह ने कहा था कि जब तक उन्हें स्थायी ठेका नहीं दिया जाता तब तक वे पुल पर अस्थायी मरम्मत का काम ही करते रहेंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि ओरेवा फर्म पुल की मरम्मत के लिए सामग्री का ऑर्डर नहीं देगी और वे अपनी मांग पूरी होने के बाद ही पूरा काम करेंगे।
मार्च में मिला स्थायी ठेका
तमाम लापरवाहियों के बाद भी जिला प्रशासन की ओर से ओरेवा ग्रुप को ही स्थायी टेंडर दिया गया। जनवरी, 2020 में जारी इस लेटर के बाद भी पुल के संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल के लिए ओरेवा ग्रुप के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। मार्च 2022 में मोरबी नगर निगम और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। यह अनुबंध 2037 तक वैध था।