मुंबई की विशेष अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि शिक्षक से संरक्षक के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। उसमें युवाओं के भविष्य को संवारने की शक्ति है, लेकिन यौन उत्पीड़न के जघन्य कृत्य ने बच्ची के विश्वास को ठेस पहुंचाया है। पीड़िता मानसिक व भावनात्मक रूप से प्रभावित होगी। लिहाजा, आरोपी मौलाना को आठ साल की बच्ची से यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराते हुए 20 साल जेल की सजा सुनाई जाती है।
पॉक्सो अधिनियम के तहत मामले की सुनवाई के लिए नामित विशेष जज सीमा जाधव ने 20 अक्तूबर को आरोपी मौलाना को दोषी ठहराया। अदालत ने आरोपी की इस दलील को भी मानने से इन्कार कर दिया कि यह धार्मिक दुश्मनी के कारण पीड़ित परिवार द्वारा दायर किया गया एक झूठा मामला था, क्योंकि वे सुन्नी संप्रदाय से संबंधित हैं, जबकि वह देवबंदी संप्रदाय से संबंधित है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी की टिप्पणी
जज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी ने अपराध तब किया, जब बच्ची ने अभी-अभी समझना और अपना जीवन जीना शुरू किया था। इस तरह के अपराध व्यक्ति के विश्वास व सकारात्मक तरीके से जीवन की ओर देखने के लिए बच्चे की धारणा को बदल देते हैं।
अदालत ने अपने फैसले में नोबेल विजेता कोफी अन्नान के उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा शायद सबसे शर्मनाक मानवाधिकार उल्लंघन है। यह भूगोल, संस्कृति या धन की सीमा नहीं जानता है। जब तक यह जारी रहेगा, हम समानता, विकास और शांति की दिशा में वास्तविक प्रगति करने का दावा नहीं कर सकते।