कोलकाता केस: केंद्र सरकार के नए निर्देश जारी,डॉक्टर्स के साथ हिंसा होने पर 6 घंटे में दर्ज करानी होगी FIR
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ और हिंसा के 19 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कोलकाता पुलिस ने एक सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर लिखा कि ‘आरजी कर मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ मामले में 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से पांच की पहचान सोशल मीडिया पर आए फीडबैक से हुई है।’ पुलिस ने लोगों की मदद के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है।
भाजपा ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग दोहराई
वहीं इस मामले में सिलीगुड़ी से भाजपा विधायक और राज्य विधानसभा में मुख्य सचेतक डॉ. शंकर घोष ने कहा, हमारी एक ही मांग है कि ममता (बनर्जी) को इस्तीफा देना चाहिए। कामदुनी, पार्क स्ट्रीट, माटीगारा, चोपड़ा, अरियादाहा, कालियागंज और हंसखली की सभी घटनाओं को देखने के बाद ऐसा लगता है कि वह सरकार चलाने में विफल रही हैं। आरजी कर की घटना के बाद यह स्पष्ट है कि सीएम ने मीडिया से अपराध स्थल को छिपाने की कोशिश की, महिलाओं को बार-बार प्रताड़ित किया जाता है। दोषियों पर मामला दर्ज किया जाता है, लेकिन उन्हें सजा नहीं दी जाती।
पश्चिम बंगाल पुलिस आयुक्त की जनता से अपील
पश्चिम बंगाल के पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल ने कहा कि हमने अपने फेसबुक पेज पर फोटग्राफ और वीडियोज पोस्ट किए थे। हम आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि इसे ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें और कोई भी व्यक्ति हमें किसी भी व्यक्ति के बारे में कोई भी जानकारी दे सकता है, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हमने करीब 25 लोगों को गिरफ्तार किया है और 9 लोगों की तस्वीरों का मिलान किया गया है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पहुंची CBI
कोलकाता में सीबीआई की टीम ने तोड़फोड़ वाले आपातकालीन विभाग की तरफ से आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रवेश किया।
डॉक्टर्स के खिलाफ हिंसा की स्थिति में छह घंटे में दर्ज करानी होगी एफआईआर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश जारी किया है कि अस्पताल में ऑन ड्यूटी स्वास्थ्यकर्मी के साथ किसी भी तरह की हिंसा होती है तो संस्थान प्रमुख को 6 घण्टे के भीतर एफआईआर दर्ज कराना जरूरी होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी यह कार्यालय आदेश सभी केंद्रीय अस्पतालों और संस्थानों के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली समेत सभी एम्स के निदेशक और सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों को भेजा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने माना है कि सरकारी अस्पताल में चिकित्सा सेवा के दौरान कई स्वास्थ्यकर्मियों को शारीरिक और मौखिक हिंसा का सामना करना पड़ता है। साथ ही उन्हें बहुत बार धमकाया भी जाता है। इस तरह की घटनाओं में अधिकतर मरीज या उनके अटेंडेंट शामिल होते हैं।