
नैनीताल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के नियमितीकरण के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं की याचिका को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन देने व उस प्रत्यावेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार धीरज लांबा व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि याचिकाकर्ता वर्ष 2006 में तत्कालीन डॉ. सुशीला तिवारी वन अस्पताल ट्रस्ट के फिजियोथेरेपी/ऑक्यूपेशनल थेरेपी/प्रोस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स विभागों में अनुबंध पर कार्यरत थे।
डॉ. सुशीला तिवारी वन अस्पताल ट्रस्ट को राज्य सरकार ने अपने अधीन कर लिया और 1 मई 2010 से यह सरकारी मेडिकल कॉलेज बन गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि उनके नियमितीकरण करने की मांग की थी। याचिका में कहा कि उनके द्वारा दिए गए प्रत्यावेदन को 21 मार्च 2016 को संबंधित विभाग ने निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रार्थना की गई कि उसके आवास आदि के लिए प्रदान की जाने वाली सुविधाओं में कटौती न करें। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन देने व चार सप्ताह के भीतर सक्षम प्राधिकारी उस पर निर्णय लें।