
हल्द्वानी में सरकारी जमीन पर कब्जे का एक और खुलासा हुआ है। दमुवाढूंगा क्षेत्र में एक व्यक्ति ने स्टांप पर डेढ़ लाख रुपये में 250 वर्ग फुट सरकारी जमीन बेच दी और वह रकम परिजन के उपनयन संस्कार में खर्च कर डाली। मामला पकड़ में आने के बाद प्रशासन आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।
सोमवार को नगर आयुक्त ऋचा सिंह और एसडीएम राहुल शाह दोपहर बाद दमुवाढूंगा क्षेत्र के दौरे पर थे। दोनों अधिकारियों ने वहां नालों के किनारे सरकारी जमीन पर कब्जों की भी जांच की। इसी दौरान पता चला कि क्षेत्र के एक व्यक्ति ने हाल ही में यूपी के पीलीभीत के किसी व्यक्ति को करीब 250 वर्ग फुट सरकारी जमीन डेढ़ लाख रुपये में बेच दी है। सरकारी जमीन की रजिस्ट्री व दाखिल खारिज तो नहीं हो सकता था, इसलिए जमीन की खरीद-फरोख्त स्टांप पेपरों पर ही निपटा दी।
पूछताछ आगे बढ़ी तो अधिकारियों को पता चला कि जमीन बेचने वाला व्यक्ति भी मौके पर ही मौजूद है। फिर क्या था, अधिकारी संबंधित व्यक्ति से सवाल दागने लगे। उनके सामने उस व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसने सरकारी जमीन बेची है। बोला- वह अकेला नहीं है जिसने सरकारी जमीन बेची है। उससे पहले भी यहां कई लोग जमीन इसी तरह बेच चुके हैं। अधिकारियों ने पूछा, कितने की बेची? जवाब मिला- डेढ़ लाख की। बताया कि यह रकम उसने घर में उपनयन संस्कार में खर्च कर दी। यह सब कुछ सुनकर अधिकारी भी दंग रह गए। अब संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
कठघरिया क्षेत्र में भी अवैध रूप से प्लॉटिंग कर कॉलोनाइजर ने 25 लोगों को जमीन बेच डाली थी। बीते दिनों मामला तब खुला था, जब उसने सरकारी जमीन पर गेट लगाया और दूसरे लोगों के आने-जाने का रास्ता बंद हो गया। उनके विरोध से अफसरों को पता चला।
दमुवाढूंगा में निरीक्षण के दौरान पता चला कि एक व्यक्ति ने डेढ़ लाख रुपये में लगभग 250 वर्ग फुट सरकारी जमीन बेची है। बेचने वाले ने बताया कि जमीन के एवज में मिले रुपये वह उपनयन संस्कार में खर्च कर चुका है। आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। – ऋचा सिंह, नगर आयुक्त
सोकपिट निर्माण रोकने के लिए छानबीन से खुला मामला
नगर आयुक्त व एसडीएम ने नाले की भूमि पर अतिक्रमण कर सोकपिट का निर्माण होते पाया तो छानबीन से सरकारी भूमि की खरीद-फरोख्त का मामला खुला। तत्काल ही अधिकारियों ने इसे तुड़वा दिया।
दोनों अफसरों दमुवाढूंगा क्षेत्र में रकसिया नाले के चैनेलाइजेशन कार्य का निरीक्षण किया। एसडीएम राहुल शाह ने बताया कि शिव मंदिर के पास वे पहुंचे तो नाले की पटरी वाली सरकारी जमीन पर एक व्यक्ति अतिक्रमण कर सोकपिट बनवा रहा था। पीलीभीत का यह वही व्यक्ति था, जिसे स्टांप पेपर पर भूमि खरीदी बेची गई थी। जालसाजी से अनजान इस व्यक्ति ने यूपी का अपना पहचान पत्र व अन्य दस्तावेज भी दिखा दिए।
फिर उसे पूरी बात बताई गई। अफसरों ने सोकपिट तुड़वाकर तीन दिन में मलबा हटाने के आदेश दिए। साथ ही अधीनस्थों को प्रकरण में जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। यह भी पता लगाने के लिए कहा गया है कि कहीं नाले की जमीन की फर्जी रजिस्ट्री तो नहीं कराई गई है। यदि ऐसा होगा तो दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।