रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास बाबरी विध्वंस से लेकर राममंदिर निर्माण तक के साक्षी हैं। रामलला की बीते 32 साल से सेवा कर रहे थे। टेंट में रामलला के दुर्दिन देखकर रोते थे। करीब चार साल तक अस्थायी मंदिर में विराजे रामलला की सेवा मुख्य पुजारी के रूप में की। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय भी उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलके थे। स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते उनके मंदिर आने-जाने पर कोई शर्त लागू नहीं थी। वह जब चाहें मंदिर आ जा सकते थे।
आचार्य सत्येंद्र दास ने साल 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री हासिल की। अगले साल यानी 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक शिक्षक की नौकरी मिल गई। रामलला की पूजा के लिए उनका चयन 1992 में बाबरी विध्वंस से नौ माह पहले हुआ था। सत्येंद्र दास की उम्र 87 वर्ष हो चुकी थी लेकिन रामलला के प्रति उनके समर्पण व सेवा भाव को देखते हुए उनके स्थान पर किसी अन्य मुख्य पुजारी का चयन नहीं हुआ।