नीतीश कुमार बेरोजगारी के मोर्चे पर 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी को घेरने की योजना बना रहे हैं। योजना है कि अगले डेढ़ साल में बिहार में 10 लाख युवाओं को नौकरी दी जाए और लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान नीतीश कुमार को रोजगार देने वाले एक विकासवादी नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जाए। इससे नीतीश कुमार को पीएम नरेंद्र मोदी के उस दावे पर हमला करने का सीधा अवसर भी मिल सकेगा जिसमें उन्होंने हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वायदा किया था। नीतीश कुमार अग्निवीर योजना पर हमला बोलकर भी युवाओं को अपने पक्ष में जोड़ने की मुहिम छेड़ सकते हैं।
लेकिन भाजपा ने जदयू के इस प्लान को ध्वस्त करने की रणनीति बना ली है। भाजपा उन सरकारी नौकरियों की फाइल का ‘काला चिट्ठा’ जनता के सामने खोल सकती है जिसमें कई महत्त्वपूर्ण विभागों में भारी संख्या में सरकारी भर्ती करने के लिए प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन कथित तौर पर मुख्यमंत्री ने इस पर ‘होल्ड’ लगा दिया था। जानकारी के मुताबिक, बीजेपी-जदयू सरकार में लगभग एक दर्जन विभागों में हजार से ज्यादा सरकारी नौकरी और कुछ में ठेके पर कर्मचारी रखने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन उन्हें सीएम की तरफ से अनुमति नहीं दी गई।
जदयू-बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री रहे एक नेता ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगभग डेढ़ साल से नई सरकारी नौकरियों की भर्ती पर होल्ड लगा दिया था। जब नई सरकारी भर्तियों की कोई फाइल मुख्यमंत्री की स्वीकृति के लिए भेजी जाती थी, तब उन पर उनकी कोई अनुमति नहीं मिलती थी। पूछने पर अधिकारियों के द्वारा बताया जाता था कि मुख्यमंत्री उस पर विचार कर रहे हैं।
वैकल्पिक व्यवस्था के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर रखकर काम चलाने की बात कही जाती थी। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास और पर्यावरण जैसे अहम विभाग शामिल हैं। भाजपा इन भर्तियों पर मुख्यमंत्री की चुप्पी का काला चिट्ठा एक रणनीति के तहत जनता के सामने रख सकती है जिससे सीएम-डिप्टी सीएम के रोजगार देने के दावों पर सवाल खड़े हो सकते हैं।