Khosta-2 Virus: नया खतरा- कोरोना वायरस की तरह उभर रहा एक और नया खतरा, किस्मे पाया जाता है खोस्ता-2 वायरस जानिए कितना खतरनाक है ये ?

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पिछले ढ़ाई साल से अधिक समय से दुनियाभर में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार जारी है। तमाम प्रकार की वैक्सीन और बचाव के उपायों के बाद भी अब तक विशेषज्ञ इस नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं कि आखिर यह महामारी कब तक खत्म होगी ? कोविड-19 के खतरे के बीच हालिया रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने इसी के जैसे एक और घातक संक्रमण को लेकर अलर्ट किया है। शोधकर्ताओं ने रूसी चमगादड़ों में खोस्ता-2 नामक एक नए वायरस की पहचान की है, इसकी प्रकृति सार्स-सीओवी-2 वायरस से मिलती जुलती देखी जा रही है। प्रारंभिक शोध के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह भी आसानी से मानव कोशिकाओं में प्रवेश करके संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है।

जर्नल प्लोस पैथाजन्स की एक रिपोर्ट के अनुसार खोस्ता-2 का दूसरा नाम सरबेको-वायरस है। यह वायरस कोविड-19 के टीकों की प्रतिरक्षा से बचकर संक्रमण का कारण बन सकता है।

प्रमुख वैज्ञानिक माइकल लेटको के नेतृत्व में अन्य वैज्ञानिकों की टीम ने 2020 में रूस के चमगादड़ों से सार्स-सीओवी-2 वायरस के ही समान कोरोनावायरस के एक समूह की पहचान की है। इसमें खोस्ता-1 और खोस्ता-1, दो नए प्रकार के पैथाजन्स पाए गए हैं। खोस्ता-1 को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह मानव कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश नहीं कर सकता, लेकिन खोस्ता-2 न सिर्फ प्रवेश कर सकता है, साथ ही गंभीर संक्रमण का कारण भी बन सकता है।
अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि खोस्ता-2 और कोरोना वायरस की प्रकृति लगभग एक जैसी ही है। खोस्ता-2 भी उसी ACE2 रेस्पिरेटर्स को लक्षित करता है जिसका उपयोग कोरोनावायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता रहा है। इसके अलावा, जब वैज्ञानिकों ने खोस्ता-2 पर कोविड-19 के टीकों के प्रभाव को जानने को कोशिश की तो इसमें पाया गया कि यह इसे बेअसर कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक संभावित खतरा हो सकता है, जिसके बारे में अध्ययन किया जा रहा है।
शोध के प्रमुख वैज्ञानिक माइकल लेटको कहते हैं, अब तक के अध्ययनों के परिणाम के आधार पर वैसे तो हम किसी को डराना नहीं चाहते हैं, पर फिलहाल यह पाया गया है कि खोस्ता-2, वैक्सीन रेजिस्टेंस है। यानी कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किया गया टीकाकरण इससे सुरक्षा देने के लिए नाकाफी है।

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हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि प्रकृति में पहले से ऐसे अनेकों वायरस घूम रहे हैं जिनमें ये गुण हैं, वे मानव रिसेप्टर्स से जुड़ सकते हैं और वर्तमान वैक्सीन्स उन्हें निष्प्रभावी नहीं कर पा रहे हैं। हम इस वायरस को समझने के शुरुआती चरणों में हैं, आगे इसके बारे में और विस्तार से जानने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं।
शोधकर्ताओं द्वारा साझा की गई जानकारियों के अनुसार कोरोनावायरस के साथ-साथ इसी परिवार का एक और सदस्य खोस्ता-2 भी देखा गया है। इसके कई माध्यमों से पशुओं से इंसानों में पहुंचने के स्रोत हो सकते हैं, इसे समझने के लिए अध्ययन जारी है। यह कोविड-19 वैक्सीन प्रतिरोधी है, जिसका मतलब है कि उपलब्ध कोविड-19 के टीके खोस्ता-2 वायरस से सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते हैं। इसकी प्रकृति और संक्रामकता काफी हद तक सार्स-सीओवी-2 वायरस से मिलती जुलती है, खास बात यह भी है कि दोनों ही वायरस के स्रोत चमगादड़ ही हैं।
खोस्ता-1 और खोस्ता-2 वायरस, साल 2020 के अंत में रूसी चमगादड़ों में खोजे गए थे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि वैसे तो दोनों ही वायरस शुरू में इंसानों के लिए खतरनाक नहीं लग रहे हैं।
खोस्ता-1 से मनुष्यों के लिए कम जोखिम है, लेकिन खोस्ता-2 की प्रकृति थोड़ी परेशान करने वाली है।
वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि खोस्ता-2 का सार्स-सीओवी-2 जैसे वायरस के साथ पुनर्संयोजन का जोखिम भी हो सकता है।


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