दीपावली का त्योहार हिंदू धर्म का एक बहुत ही प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देशभर में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान राम 14 साल के वनवास काटने के बाद और रावण का वध करके वापस अयोध्या आए थे, जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे नगर को दीपक जलाकर खुशियां मनाई थी।
दिवाली 2024 लक्ष्मी पूजा तिथि
पंचांग के मुताबिक 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन पूरी रात्रि अमावस्या तिथि के साथ प्रदोष काल और निशीथ मूहूर्त काल भी है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई होगा, क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
दिवाली निशिता काल पूजा मुहूर्त ( 01 नवंबर, 2024)
महानिशीथ काल : 23:38 से 24:30 तक (02 नवंबर)
सिंह काल : 24:52 से 27:10 तक (02 नवंबर)
(अमावस्या तिथि निशिता मुहूर्त के साथ व्याप्त नहीं है।)
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (01 नवंबर, 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:36 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:36 से 08:11
वृषभ काल – 06:20 से 08:15
दिवाली 2024- उदया काल तिथि और मुहूर्त
हिंदू धर्म में ज्यादातर पर्व और त्योहार की तिथियों की गणना उदया तिथि के आधार पर की जाती है। उदया तिथि उसे कहते हैं जब सूर्योदय के समय जो तिथि व्याप्त होती है। यानी कोई तिथि सूर्योदय के समय के बाद 3 प्रहर तक रहती है तो उसे उदया तिथि कहते हैं। कार्तिक अमावस्या की उदया तिथि 01 नवंबर को सूर्योदय के बाद 3 प्रहर तक रहेगी। यानी 01 नवंबर को अमावस्या तिथि में प्रदोष काल भी रहेगा। यानी 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन करना कुछ विद्वान उचित मान रहे हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि 01 नवंबर को दिवाली चतुर्दशी से युक्त अमावस्या से ज्यादा अच्छा प्रतिपदा से युक्त अमावस्या होती है। इसलिए 01 नवंबर को दीपावली मनाई जानी चाहिए।
दिवाली 2024- निशिथ काल मुहूर्त
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त जहां प्रदोष व्यापिनी अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न को माना जाता है तो वहीं दिवाली के मध्य रात्रि के समय आने वाला मुहूर्त महानिशीथ काल पर मां काली की पूजा का विधान होता है। महानिशीथ काल में पूजा तांत्रिक,पंडित और साधकों के लिए सबसे सर्वोत्तम मानी जाती है।
दिवाली 2024- प्रदोषकाल मुहूर्त
दिवाली पर देवी लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) और स्थिर लग्न में किया जाना चाहिए। प्रदोष काल का समय हर दिन सूर्यास्त होने से 2 घड़ी यानी 48 मिनट तक रहता है। दिल्ली के समय अनुसार 31 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट पर सूर्यास्त होगा। 31 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से अमावस्या प्रारंभ हो चुकी होगी और प्रदोष काल अमावस्या तिथि पर रहेगी। ऐसे में 31 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट के बाद दिवाली लक्ष्मी पूजन आरंभ कर सकते हैं।
इस वर्ष दिवाली की तारीख को लेकर मतभेद क्यों?
दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है। दीपावली पर धन और समृद्धि के देवी महालक्ष्मी का विशेष पूजन करने का विधान होता है। शास्त्रों में दिवाली पर महालक्ष्मी का पूजन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में सबसे सर्वोत्तम माना गया है। प्रदोष काल के अलाव महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी का प्राकट्य अमावस्या तिथि के संध्याकाल में हुआ था इस कारण से दिवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल और रात्रिकाल निशीथ काल में होती है।
पंचांग के मुताबिक 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन पूरी रात्रि अमावस्या तिथि के साथ प्रदोष काल और निशीथ मुहूर्त काल भी है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई होगा, क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
लेकिन कुछ ज्योतिषाचार्यों और पंडितों का तर्क है कि यदि दिवाली पर सूर्योदय के बाद तीन प्रहर तक कोई तिथि व्याप्त हो तो उदयकाल में तिथि होना माना जाता है और उसी काल में पूजा करना शास्त्र सम्मत है। ऐसे में 01 नवंबर को अमावस्या तीन प्रहर की है और प्रदोष व्यापिनी भी है। इस कारण से कुछ विद्वान दिवाली 01 नवंबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं।
दिवाली 2024- अमावस्या तिथि
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवंबर को शाम 06:16 मिनट तक।
दिवाली 2024- प्रदोषकाल मुहूर्त
प्रदोष काल का समय हर दिन सूर्यास्त होने से 2 घड़ी यानी 48 मिनट तक रहता है। दिल्ली के समय अनुसार 31 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट पर सूर्यास्त होगा। 31 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से अमावस्या प्रारंभ हो चुकी होगी और प्रदोष काल अमावस्या तिथि पर रहेगी। ऐसे में 31 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट के बाद दिवाली लक्ष्मी पूजन आरंभ कर दें।
वहीं दूसरी तरफ 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट तक अमावस्या तिथि व्याप्त रहेगी और सूर्यास्त 05 बजकर 36 मिनट होगा। इस तरह से 01 नवंबर को भी प्रदोष काल और अमावस्या तिथि व्याप्त रहेगी। यानी 01 नवंबर को शाम 05 बजकर 36 मिनट से लेकर अमावस्या तिथि के समापन 06 बजकर 16 मिनट तक लक्ष्मी पूजन के लिए करीब 40 मिनट का ही शुभ मुहूर्त मिलेगा। इसके बाद प्रतिपदा लग जाएगी।
दिवाली 2024- निशिथ काल मुहूर्त
दिवाली 2024- उदया काल तिथि और मुहूर्त
31 अक्तूबर को दिवाली- अधिकांश पंडितों और विद्वानों का मत
01 नवंबर को प्रदोष काल सवा तीन मुहूर्त से आगे नहीं है और 01 नवंबर को न तो निशीथ काल का मुहूर्त मिल रहा है न ही पूरा प्रदोष काल। साथ ही 01 नवंबर को स्थिर लग्न भी नहीं है, इसलिए दिवाली 31 अक्तूबर को मनाना मुहूर्त और शास्त्र सम्मत है।
31 अक्तूबर को पूर्ण प्रदोष काल और पूर्ण अमावस्या की रात्रि मिल रही है। शास्त्रों में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न में की जाती है। जबकि 01 नवंबर को प्रदोष काल के शुरू होने के कुछ मिनटों बाद ही अमावस्या तिथि समाप्त हो रही है। इसलिए दिवाली 31 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन करना शास्त्रों के अनुसार श्रेष्ठ रहेगा।