रेसलिंग के रास्ते ही राजनीति में आए थे मुलायम सिंह यादव कुश्ती प्रतियोगिता में अपने राजनीतिक गुरु को किया था प्रभावित ।

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मुलायम सिंह यादव एक राजनेता से पहले एक मशहूर रेसलर थे। उन्होंने एक से एक बड़े पहलवानों को हराकर अपने राजनीतिक गुरु को भी प्रभावित किया था। कुश्ती प्रतियोगिता से ही उनका राजनीति का रास्ता तैयार हुआ था।
मुलायम सिंह ने 1967 में पहली बार लड़ा था और जीता था विधानसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव को ज्यादातर लोग सिर्फ एक राजनेता के तौर पर जानते होंगे। लेकिन आपको बता दें कि वे एक राजनेता से पहले एक अच्छे रेसलर भी रहे चुके हैं। उनका नाम देश के मशहूर रेसलर के रूप में जाना जाता था। उन्होंने रेसलिंग से ही राजनीति में आने का रास्ता बनाया था।

जी हां, रेसलिंग के रास्ते ही मुलायम राजनीति में आए थे। दरअसल ये बात है 1962 की जब जसवंत नगर क्षेत्र के एक गांव में विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था। इसी दौरान एक बहुत बड़ी कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें मुलायम ने भी हिस्सा लिया था।

जसवंत नगर के इस गांव में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता को देखने पहुंचे यहा सें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे नत्थू सिंह। इस प्रतियोगित में मुलायम सिंह ने एक के बाद एक कई पहलवानों को चारों खाने चित कर दिया। उनके इस कौशल को देखकर नत्थू सिंह प्रभावित हो गए और उस दिन से उन्होंने अपना हाथ मुलायम के सिर पर रख दिया। यहां से शुरू हुआ मुलायम और नत्थू सिंह के बीच गुरु और शीष्य का रिश्ता।
धीर-धीरे समय आगे बढ़ा और मौका आ गया 1967 के चुनावों का। इस बार भी जसवंत नगर से नत्थू सिंह को उम्मीदवार बनाने की चर्चा थी। लेकिन नत्थू सिंह ने उस वक्त सभी को चौंका दिया जब उन्हें मुलायम का नाम यहां से प्रत्याशी के तौर पर आगे किया
28 वर्षीय मुलायम सिंह यादव उस वक्त राजनीति के मामले में नौसिखिया थे। लेकिन उनके गुरु नत्थू सिंह को मुलायम पर पूरा भरोसा था। जिस तरह पांच साल पहले मुलायम ने अपनी रेसलिंग से उनके दिल पर छाप छोड़ी थी। उसकी तस्वीर नत्थू सिंह के दिल और दिमाग में बस गई थी। नत्थू सिंह मुलायम सिंह को टिकट देने पर अड़े रहे। आखिरकार संसोपा मुलायम को टिकट देने पर राजी हो गई।
किसी को नहीं पता था का रेसलिंग का ये हीरा राजनीति में भी अपनी चमक बिखेरेगा। 1967 में कांग्रेस की हवा प्रदेश में जोरों पर थी। ऐसे में जब जसवंत नगर से मुलायम को टिकट मिला तो कांग्रेस के प्रत्याशी लाखन सिंह यादव उन्हें बच्चा समझकर उनकी खिल्लियां उड़ाते थे। लेकिन उन्हें ये नहीं पता है कि उस समय पहलवानों की बहुत कदर होती थी।
मुलायम सिंह यादव उस क्षेत्र के मशहूर पहलवान थे और फिर शिक्षक बन गए। इसके बाद उन्होंने चुनाव के दौरान अपने भाषण से पिछड़ी जाती को खासा प्रभावित किया। उन्होंने राम मनोहर लोहिया के विचारों को आगे बढ़ाया।
राममनोहर लोहिया उस समय जिंदा थे। देखते-देखते उनकी सभाओं में भीड़ चुटने लगी। आखिरकार जब चुनाव संपन्न हुए तो मुलायम लाखन सिंह यादव को बड़े अंतर से हराकर विधायक बन चुके थे। इस तरह एक कुश्ती प्रतियोगिता से मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश की विधानसभा तक का रास्ता तय किया था।

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उसके बाद वे विधायक से एक बड़े नेता बने। उन्होंने खुद की पार्टी बनाई जिसे आज समाजवादी पार्टी के नाम से जाना जाता है। वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वहीं केंद्र की राजनीति में भी उन्होंने छाप छोड़ी और 1996 में एच.डी. देवगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में वे रक्षामंत्री भी रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को 28 मई, 2012 को लंदन में ‘अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन के सेवानिवृत न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया था कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिए चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है।

उन्होंने कहा था कि श्री यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है। उन्होंने कई विधि विश्‍वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया है


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