रामनगरी के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंतों में पटना के महाबीर मंदिर के प्रबंधन को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को यह विवाद तब और बढ़ गया जब हनुमानगढ़ी के महंतों ने सर्व सम्मति से महाबीर मंदिर पटना के लिए महंत व पुजारी आदि की नियुक्ति कर अपने अधिकार के लिए लड़ने की सहमति व समर्थन दे दिया.पंच रामानंदीय निर्वाणी अनी अखाड़ा की सर्वोच्च पीठ हनुमानगढ़ी, अयोध्या के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास ने महावीर मंदिर,पटना के महंत पद पर महेंद्र दास को नियुक्त कर उनको तिलक लगा अपनी मान्यता दे दी.इसके बाद हनुमानगढ़ी के अन्य महंतों ने भी महेंद्र दास की नियुक्ति पर अपनी सहमित दे दीl
महंत रघुनाथ दास को धर्म प्रचार प्रसार के लिए महावीर मंदिर पटना का सर्वोच्च आचार्य बनाया
महंत प्रेमदास ने बताया कि महेंद्र दास महाराज को महावीर मंदिर पटना सरवराहकार बनाया गया है। तथा महंत रघुनाथ दास को धर्म प्रचार प्रसार के लिए महावीर मंदिर पटना का पूर्व की भांति सर्वोच्च आचार्य बनाया गया है.सूर्यवंशी दास को मुख्य पुजारी पद पर पुनः नियुक्त किया गया हैlपंचों की राय से कानूनी पहलुओं पर विचार के बाद न्यायालय सिनियर डिवीजन फैजाबाद अयोध्या के यहां इस संबंध में महावीर मंदिर पटना के संबंध में अधिकार कायम करने के लिए वाद दायर किया गया है जो कि मूल वाद संख्या 375/2021 श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी महंत प्रेम दास महाराज एवं अन्य बनाम किशोर कुणाल कथित सचिव श्री महावीर मंदिर न्यास समिति पटना अन्य दर्ज हुआ है।और विपक्षी लोगों को नोटिस जारी हुई है तथा अगली तारीख पेशी 13 सतंबर पड़ी है। गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने कहा कि महाबीर मंदिर 350 वर्ष पहले रामानंदीय वैरागी संप्रदाय के प्रसिद्ध स्वामी बालानन्द जी ने स्थापित किया। उस समय से महाबीर मंदिर अभी तक श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा के शाखा के रूप में विश्व प्रसिद्ध हैl परंतु इस मंदिर में इस समय किशोर कुणाल रामानंदी परंपरा का नाशकर, उल्लंघन कर इस मंदिर को अपना पैतृक जायदाद मान कर रहे हैंl मंदिर की आमदनी से करोड़ों की जमीन भारत के कई राज्यों में अपने निजी संपत्ति बना रहे हैंl जिन्हें रोकने तथा महावीर मंदिर की व्यवस्था जो श्री पंचरामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा हनुमानगढ़ी अयोध्या से सदियों से हो रहा था ,उस व्यवस्था को पुनः पहले की तरह करने व रामानंदीय परंपरा के अनुरूप पुनः बनाने करने के लिए यह मुकदमा किया गया है।जिससे हनुमानगढ़ी अयोध्या से नियुक्त महंत, सरवराहकार व पुजारी आदि के कार्य करने में कोई बाधा न हो।