नैनीताल हाईकोर्ट : वनाधिकारी को खुद के वकील पर नहीं भरोसा, पैरवी करने के लिए मांगी अनुमति फिर कोर्ट ने दी अनुमति

Spread the love

हाईकोर्ट ने वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को उनके एक मामले में खुद ही पैरवी करने की अनुमति दी है। वनाधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि उन्हें अपने मामले की स्वयं पैरवी करने की अनुमति जी जाए क्योंकि उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं पर विश्वास नहीं है। हाईकोर्ट ने उन्हें खुद ही मामले की पैरवी करने की अनुमति देते हुए सुनवाई के लिए 23 अक्तूबर की तिथि नियत की है।
हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं के प्रति की गई संजीव चतुर्वेदी की टिप्पणी को रिकॉर्ड में लेते हुए कहा कि रिकॉर्ड को देखने से स्पष्ट है कि चतुर्वेदी एक कठिन हालात का सामना कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने कई मौकों पर एक व्हिसल ब्लोअर के रूप में काम किया है। प्रथम दृष्ट्या, यह भी लगता है कि वह कई विवादों में उलझे हुए हैं और कई मंचों के समक्ष अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखते हैं और हल करने का प्रयास करते रहे हैं। कानून के उनके ज्ञान, उनके विद्वतापूर्ण तर्क, विश्लेषण और तथ्यों की कुछ कानूनी मंचों ने सराहना भी की है लेकिन एक वादी का यह दावा करना कि उसे बार के सदस्यों पर विश्वास नहीं है, दुखद है। संभवतया यह चतुर्वेदी की एक गलत धारणा है जो बार और कानूनी बिरादरी के विद्वान सदस्यों को थोड़ा आत्मनिरीक्षण करने के लिए मजबूर करती है। हालांकि चतुर्वेदी का मत यह भी है कि वह अपने वकील को मुसीबत में नहीं डालना चाहते।

हाल में उन्होंने हाईकोर्ट में ‘हाईकोर्ट ऑफ उत्तराखंड, पार्टी इन पर्सन रूल्स 2020’ के तहत अपने मामले की पैरवी स्वयं करने का प्रार्थना पत्र दिया था। इसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने चतुर्वेदी से पूछा कि उन्होंने पहले से ही सीनियर और जूनियर अधिवक्ता नियुक्त किए हैं तो अब इन पर्सन क्यों आना चाहते हैं। इसके जवाब में चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं पर विश्वास नहीं है, इसलिए वह स्वयं पैरवी की अनुमति चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह कैट के अलावा दिल्ली हाईकोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट में भी अपने मामले की स्वयं पैरवी कर रहे हैं।
यह है मामला
वनाधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर कैट में याचिका दायर की थी। इस पर कैट की नैनीताल सर्किट बेंच सुनवाई कर रही थी। बाद में मामला कैट की दिल्ली पीठ को रेफर कर दिया गया था। इसे संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इस मामले की सुनवाई नैनीताल में ही करने की अपील की थी। पैरवी के लिए चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में सीनियर और जूनियर अधिवक्ता नियुक्त किए थे।

और पढ़े  टिहरी: स्कूल से घर लौट रहे 2 मासूम बच्चों के ऊपर गिरा पेड़,दबने से दर्दनाक मौत

Spread the love
  • Related Posts

    पंचायत चुनाव- उत्तराखंड का पंचायत चुनाव में युवा प्रत्याशियों का बोलबाला

    Spread the love

    Spread the love     राज्य का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव युवाओं के लिए राजनीति की प्राथमिक पाठशाला बन गया है। प्रधान, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत सदस्य के पद पर बुजुर्गों…


    Spread the love

    राष्ट्रपति मुर्मू ने किया लालकुआं को सम्मानित, दून सहित इन शहरों का रहा कुछ ऐसा प्रदर्शन

    Spread the love

    Spread the love   स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) की ओर से आयोजित एक…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *