
आज 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी मनाई जा रही है। इस दिन चैत्र नवरात्रि की महानवमी भी है, जिसमें मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। दरअसल, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुण्य तिथियों में से एक माना गया है। इस तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, जिसे राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। रामलला के जन्मोत्सव की खुशी में देशभर में पूजा के साथ-साथ शोभा यात्राएं भी निकाली जाती हैं।
हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को भावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
कहा जाता है कि राम नाम में वह शक्ति है, जो असंभव को संभव कर सकती है। संत तुलसीदास जी ने कहा है, “कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरहि पारा।” इसका अर्थ है कि इस युग में यदि कोई साधना सर्वोत्तम है, तो वह राम नाम का जप है। “श्री राम जय राम जय जय राम” का जाप करें और अपने जीवन को शुभता और शांति से भर लें।
श्रीराम के जीवन से सीखें ये खास बातें
संयम और धैर्य
भगवान श्रीराम ने कठिन से कठिन हालातों में भी आत्मसंयम, धैर्य और साहस से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने कभी भी क्रोध में आकर कोई निर्णय नहीं लिया, बल्कि हर चुनौती का सामना शांति और विवेक के साथ किया।
वचन के प्रति अटल
श्रीराम अपने वचनों के प्रति अत्यंत निष्ठावान थे। उन्होंने जीवन भर अपने वचनों और दायित्वों का पूरी निष्ठा से पालन किया।
योजनाबद्ध जीवन
श्रीराम हर कार्य सोच-समझकर और पूर्व नियोजन के साथ करते थे। माता सीता को वापस लाने के लिए उन्होंने समुद्र पार करने हेतु रामसेतु का निर्माण कराया, जो उनके रणनीतिक कौशल को दर्शाता है।
प्रभु श्रीराम को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम
- राम नाम का जाप करें
- श्रीरामचरितमानस और सुंदरकांड का पाठ करें
- सत्य, धर्म के रास्ते पर चलें
- राम नवमी और एकादशी का व्रत करें
- हनुमान जी की भक्ति करें
कन्या पूजन का समय
राम नवमी पर कन्या पूजन का अभिजित मुहूर्त- 06 अप्रैल सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक।
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के पावन दिनों में देवी उपासना का विशेष महत्व होता है और इस दौरान कन्या पूजन को अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना गया है। नवरात्रि में किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि को इसका विशेष फल प्राप्त होता है। बता दें, नवरात्रि पर जितना महत्व देवी आराधना का होता है उतनी ही नौ दिनों के उपवास के बाद अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का होता है। कन्या पूजन से मां दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि के साथ धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।