पायलट बाबा- जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन, अखाड़े की सभी शाखाओं में 3 दिन का शोक

Spread the love

पायलट बाबा- जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन, अखाड़े की सभी शाखाओं में 3 दिन का शोक

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का मंगलवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनकी मौत की खबर से पूरे संत समाज में शोक की लहर है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है। जूना अखाड़े ने तीन दिन का शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।

श्रीमहंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी व देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी संन्यास यात्रा शुरू की।

उन्होंने कहा पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे। 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया।

हरिद्वार में दी जाएगी समाधि
श्री महंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी। जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत, महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए पहुंचेंगे। हरिद्वार अखाड़े में पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

और पढ़े  कांवड़ यात्रा- आज से शुरू हुआ सावन, कांवड़ियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, दिल्ली से देवभूमि तक एक ही गूंज- हर-हर महादेव

कौन थे पायलट बाबा
पायलट बाबा का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनका पुराना नाम कपिल सिंह था। बाबा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उनका भारतीय वायु सेना में चयन हुआ। बाबा यहां विंग कमांडर के पद पर थे। बाबा 1962, 1965 और 1971 की लड़ाइयों में सेवा दे चुके हैं। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।

सेना की लड़ाई से दूर शांति और अध्यात्म की तरफ प्रवृत्त हो गए थे बाबा
बाबा बताते हैं कि, सन 1996 में जब वे मिग विमान भारत के पूर्वोत्तर में उड़ा रहे थे तब उनके साथ एक हादसा हुआ था। उनका विमान से नियंत्रण खो गया। उसी दौरान बाबा को उनके गुरु हरि गिरी महाराज का दर्शन प्राप्त हुए और वे उन्हें वहां से सुरक्षित निकाल लिए। यही वो क्षण था जब बाबा को वैराग्य प्राप्त हुआ और वे सेना की लड़ाई से दूर शांति और अध्यात्म की तरफ प्रवृत्त हो गए।

हमेशा विवादों में घिरे रहे पायलट बाबा
पायलट बाबा का विवादों ने नाता नहीं टूटा। पहले देश की रक्षा के लिए युद्ध और बाद में अपनी और अपने संपत्ति की सुरक्षा के लिए उनका युद्ध चलता रहा। यही नहीं अलग तरह के विवाद भी उनके पीछे पड़े रहे। वर्ष 2010 के कुंभ में पायलट बाबा के वाहन से हादसा हुआ। इस कुंभ का आखिरी शाही स्नान 14 अप्रैल को था इसी बीच बाबा काफिला लेकर रवाना हुए वह जैसे ही अपने रुतबे और काफिले के साथ निकले तो वाहनों की चपेट में दर्जनों लोग आ गए। इसमें कई की जान गई वहीं कई घायल हो गए। कुछ लोग बचने के लिए नदी में कूदे तो उनका पता नहीं चला। इस मामले में पुलिस ने बाबा के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज किया लेकिनए तत्कालीन सरकार के बेहद करीबी होने के कारण मामला केवल फाइलों में चलता रह गया। इसी तरह बाबा का एक कार्यक्रम हाथरस में हुआ जहां पर बाबा की चरणरज लेने के लिए भगदड़ मच गई। वहीं, इनके खिलाफ नैनीताल से लेकर कई जगहों पर मुकदमे केवल जमीन कब्जा करने के भी चले। यही नहीं स्टिंग ऑपरेशन भी बाबा के खिलाफ हुआ, हालांकि काले धन को सफेद करने के इस मामले में कोई खास कार्रवाई नहीं हुई। यही नहीं पायलट बाबा को नैनीताल में एक जमीन के मामले में उपजिलाधिकारी कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने 4 अप्रैल 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पायलट बाबा का नैनीताल से 15 किमी दूर गेठिया में बड़ा व भव्य आश्रम है।

और पढ़े  थलीसैंण /पौड़ी: हरेला पर्व पर जनपद पौड़ी में 50,000 पौधों का रोपण, पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प

उत्तराकाशी पुलिस रहती थी परेशान
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुमाल्टा गांव के निकट गंगा-भगीरथी के तट पर बने आश्रम के लिए पायलट बाबा ने न सिर्फ 16 नाली (0.324 हेक्टेयर) से अधिक सरकारी जमीन पर कब्जा जमाया, बल्कि सीमा के संवेदनशील क्षेत्र में उन्होंने निजी हैलीपैड भी बना डाला। कुछ अनुयायी उनका गुणगान इस तरह भी करते हैं कि आश्रम में आने वाले विदेशियों का ब्यौरा भी बाबा स्थानीय पुलिस को नहीं देते थे। देश की आंतरिक सुरक्षा के नियमों में जबकि यह है कि विदेश से आने वाले किसी भी व्यक्ति की जानकारी 24 घंटे के अंदर स्थानीय पुलिस को देनी होती है।


Spread the love
  • Related Posts

    राष्ट्रपति मुर्मू ने किया लालकुआं को सम्मानित, दून सहित इन शहरों का रहा कुछ ऐसा प्रदर्शन

    Spread the love

    Spread the love   स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) की ओर से आयोजित एक…


    Spread the love

    थलीसैंण /पौड़ी: हरेला पर्व पर जनपद पौड़ी में 50,000 पौधों का रोपण, पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प

    Spread the love

    Spread the love    जनपद पौड़ी गढ़वाल में परंपरागत पर्यावरण पर्व हरेला बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया के नेतृत्व में जिला मुख्यालय…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *