टेस्ट क्रिकेट की पिचों को लेकर हाल के दिनों में बहस तेज हो गई है। इसी बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पर्थ स्टेडियम में खेले गए दो दिवसीय एशेज टेस्ट की पिच को अपनी सर्वोच्च श्रेणी ‘वेरी गुड’ (बहुत अच्छी) रेटिंग दी है। दूसरी ओर, भारत में हाल ही में हुई टेस्ट सीरीज की पिचों को केवल ‘सैटिसफैक्टरी’ (संतोषजनक) दर्जा मिला। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि क्या आईसीसी की रेटिंग प्रणाली में असमानता है?
दो दिन में खत्म मैच, फिर भी ICC की तारीफ
भारत की पिचें क्यों मिली ‘संतोषजनक’ रेटिंग?
आईसीसी की रेटिंग प्रणाली क्या कहती है?
| ICC पिच की रेटिंग | मतलब |
|---|---|
| Very Good (बहुत अच्छी) | बल्लेबाजों और गेंदबाजों को बराबर मदद करने वाली पिच |
| Good (अच्छी) | खेल संतुलित, लेकिन थोड़ा एकतरफा रुझान वाली पिच |
| Satisfactory (संतोषजनक) | सामान्य पिच, जिसमें सुधार की जरूरत हो |
| Below Average (औसत से कम) | ऐसी पिच जो मैच पर नकारात्मक असर डाले |
पर्थ में तेज गेंदबाजों का कहर
दर्शकों को नुकसान, पर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया खुश
हालांकि, मैच मात्र दो दिन चला, जिससे क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को लगभग तीन-चार मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का नुकसान हुआ। लेकिन बोर्ड ने आईसीसी के फैसले को सही मानते हुए कहा, ‘पिच ने खेल में बेहतरीन संतुलन दिया और तेज गेंदबाजों के शानदार कौशल ने खेल को रोमांचक बनाया। मैच के बाद कप्तान स्टीव स्मिथ ने भी कहा था कि दूसरे दिन से पिच ने बल्लेबाजों को मदद करना शुरू किया था।
अब फोकस गाबा टेस्ट पर
अब नजरें, चार दिसंबर से शुरू हो रहे अगले डे-नाइट टेस्ट (गाबा, ब्रिस्बेन) पर हैं। पिच क्यूरेटर डेव सैंडुर्स्की का मानना है कि अगली पिच पांच दिन तक टिकेगी और हर तरह के खिलाड़ियों को मौका देगी। गाबा भी 2022-23 में दो दिन में खत्म हुए टेस्ट के लिए बदनाम हुआ था और उसे औसत से भी कम रेटिंग मिली थी।








