
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की शुरुआत हो रही है। यह भव्य यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है। जगन्नाथ रथ यात्रा में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। 12 दिन चलने वाली रथ यात्रा को लेकर भक्त उत्साहित हैं। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
जगन्नाथ रथ यात्रा पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि मैं छत्तीसगढ़ के सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा से प्रार्थना करता हूं कि छत्तीसगढ़ में समृद्धि आए और हर घर में खुशियां और संपदा बनी रहे।
पुरी रथ यात्रा तीन भाई देवताओं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को उनके रथों पर लाने के साथ शुरू हुई।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में पहांडी अनुष्ठान शुरू
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में पहांडी अनुष्ठान शुरू हुआ। इसमें भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को रथ यात्रा के लिए 12वीं सदी के मंदिर से उनके संबंधित रथों तक जुलूस के रूप में ले जाया गया। अनुष्ठान एक घंटे देरी से शुरू हुआ और तीन घंटे तक चलेगा। पहांडी में त्रिदेवों भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को जुलूस के रूप में सिंह द्वार के सामने खड़े उनके रथों तक ले जाया जाता है। जहां से उन्हें श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। घंटियां, शंख और झांझ बजाते हुए चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले मुख्य मंदिर से बाहर लाया गया और देवी सुभद्रा के ‘दर्पदलन’ रथ पर बैठाया गया। पंडित सूर्यनारायण रथशर्मा ने बताया कि सुदर्शन भगवान विष्णु का चक्र अस्त्र है, जिनकी पूजा पुरी में भगवान जगन्नाथ के रूप में की जाती है। सुदर्शन के पीछे भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई भगवान बलभद्र थे। भगवान बलभद्र अपने तालध्वज रथ पर विराजमान हैं। जब भगवान जगन्नाथ मंदिर से बाहर आए, तो ग्रैंड रोड पर भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा, क्योंकि भक्तों ने हाथ उठाकर ‘जय जगन्नाथ’ का नारा लगाया।