हिंदी अब जल्द ही बनेगी विश्व भाषा: डॉ विपिन कुमार

Spread the love

 

 

18 और 19 अक्टूबर, 2024 को बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित 43वें हिंदी महाधिवेशन ने साहित्य प्रेमियों और समाज के विभिन्न तबकों के विचारकों को एकत्र किया इस महाधिवेशन को हिंदी साहित्य की दो महान विभूतियों, पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और कलम के जादूगर श्री रामवृक्ष बेनीपुरी को समर्पित किया गया है। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. विपिन कुमार ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, “आज हमारे समाज में जातिवाद, संप्रदायिकता और क्षेत्रीयता जैसी संकीर्णताएँ गहरी हो गई हैं। ये विचारधाराएँ न केवल हमारे सामाजिक ताने-बाने को खंडित कर रही हैं, बल्कि विश्व-बंधुत्व की अवधारणा को भी कमजोर कर रही हैं।” उन्होंने समाज में बंधुत्व की भावना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। “हम सभी को यह समझना होगा कि जाति और संप्रदाय की दीवारें केवल विभाजन का काम करती हैं। साहित्य का कार्य इन संकीर्णताओं को खत्म करना है।

बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अध्यक्ष प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित को ‘विद्या वाचस्पति’ की मानद उपाधि से विभूषित किया। यह सम्मान उनके साहित्यिक कार्यों और योगदान के लिए प्रदान किया।

महाधिवेशन का उद्घाटन करते हुए डॉ. सीपी ठाकुर ने हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में बिहार के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “हिंदी साहित्य केवल एक भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि यह हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास का भी दर्पण है।” उन्होंने साहित्य के माध्यम से समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री मिहिर कुमार सिंह ने भी अपने संबोधन में कहा, “इस महाधिवेशन का उद्देश्य न केवल साहित्य को बढ़ावा देना है, बल्कि समाज में सामंजस्य और एकता की भावना को भी मजबूत करना है।” उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार इस प्रकार के आयोजनों को प्रोत्साहित करेगी, ताकि साहित्य का विकास हो सके।

और पढ़े  App: रेलवे ने लॉन्च किया सुपर मोबाइल एप, टिकट बुकिंग से लेकर मिलेंगी ये सब सुविधाएं

महाधिवेशन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। विभिन्न कलाकारों ने नृत्य, संगीत और नाटक के माध्यम से समाज में एकता का संदेश दिया। डॉ. कुमार ने कहा, “कला और संस्कृति हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। यह हमें जोड़ने का काम करती हैं और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती हैं।” महाधिवेशन का समापन समारोह भव्य तरीके से आयोजित किया गया। डॉ. विपिन कुमार ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम जातिवाद, संप्रदायिकता और क्षेत्रीयता के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम विश्व-बंधुत्व की अवधारणा को मजबूती प्रदान करें। इस समापन समारोह में एक महत्वपूर्ण संकल्प लिया गया, जिसमें सभी साहित्यकार और समाजसेवी मिलकर समाज में व्याप्त संकीर्णताओं को समाप्त करने के लिए प्रयास करेंगे।

43वें हिंदी महाधिवेशन ने सभी को एक नई दिशा दी है। यह सम्मेलन न केवल साहित्यिक चर्चाओं का मंच बना, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। डॉ. विपिन कुमार के विचारों ने सभी उपस्थित लोगों को एक नए दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित किया।

इस प्रकार, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का यह महाधिवेशन न केवल साहित्य की समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि समाज में व्याप्त संकीर्णताओं के खिलाफ एक सशक्त आवाज उठाने का भी माध्यम बन गया। सभी प्रतिभागियों ने इस महाधिवेशन को सफल और सार्थक बताया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि साहित्य और विचारों का संगम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

 


Spread the love
  • Related Posts

    Crime: साली दे बैठी जीजा को दिल,भाग कर रचा ली शादी, पति से मिला धोखा तो पत्नी ने दे दी जान

    Spread the love

    Spread the love 28 वर्षीय लक्ष्मी ने कथित तौर पर पति और बहन की धमकियों से आहत होकर आत्महत्या कर ली।   हरियाणा के रुदड़ोल गांव में 28 वर्षीय लक्ष्मी…


    Spread the love

    महिला पहलवान:- मां बनीं पहलवान विनेश फोगाट, दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हुई डिलीवरी, बधाइयों का लगा तांता

    Spread the love

    Spread the love     हरियाणा की महिला पहलवान विनेश फोगाट के घर किलकारी गूंजी है। जींद के विधानसभा हलके से कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट मां बनी हैं। रेसलर विनेश…


    Spread the love

    error: Content is protected !!